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मानव अधिकार आयोग ने छह मामलों में संबंधितों से प्रतिवेदन मांगा

भोपाल , 12 जून(वार्ता) मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के आज मानव अधिकार हनन से जुड़े कुल 06 मामलों में संज्ञान लेकर संबंधितों से प्रतिवेदन मांगा है।
आयोग की एक विज्ञप्ति के अनुसार आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने टीकमगढ जिले के बल्देवगढ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मानवता को तार-तार कर देनेे वाली शर्मनाक घटना सामने आई है। यहां मासूम बच्ची को न स्ट्रेचर मिला और न परिजनों को शव ले जाने के लिए कोई वाहन। लिहाजा थक हारकर अपनी बच्ची का शव गोद में रखकर मायूस पिता बाइक से 15 किमी दूर अपने घर के लिये रवाना हो गया। इस घटना पर आयोग ने कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से प्रतिवेदन मांगा है।

मण्डला जिले में पुलिस प्रताडना से त्रस्त होकर युवक ने फांसी लगा ली। मामला मण्डला के महात्मा गांधी वार्ड के चुरामन घाट का है। सिटी कोतवाली के तीन पुलिसकर्मियों ने युवक को डराया, धमकाया और पैसे की मांग की। परेशान होकर युवक ने शुक्रवार को यह कदम उठाया, युवक के सुसाईड नोट में तीनों पुलिसकर्मियों के नाम है। आयोग ने पुलिस अधीक्षक से एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।

मण्डला जिले के मवई ब्लाॅक के मुरता के डोंगरटोला में 8 परिवार निवास करते है। यहां शासन की ओर से न ही सार्वजनिक कुंआ और न ही हैंडपंप की व्यवस्था की गई है। आज भी लोग जंगल किनारे झिरिया से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर से जांच कराकर की गई कार्यवाही का प्रतिवेदन एक माह में मांगा है।

जिला चिकित्सालय अनूपपुर में जैतहरी जनपद के बसंतपुर दफाई निवासी मनीषा कुमारी को बीते शनिवार की मध्यरात्रि प्रसव पीडा होने पर परिजनों द्वारा रात 11 बजे चिकित्सालय में दाखिल कराया, लेकिन रात में कोई भी चिकित्सक उपस्थित नहीं था। रविवार को पदस्थ चिकित्सक मरीज को देखने के लिये पहुंची, जहां उसके शरीर में रक्त की कमी होने की बात चिकित्सक द्वारा परिजनों को रक्त की व्यवस्था करने को कहा और कहा कि रक्त मिलने पर ही उपचार होगा, यदि मरीज की मौत हो जाती है, तो उसमें हाॅस्पिटल दोषी नहीं होगा। आयोग ने कलेक्टर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अनूपपुर से एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
बालाघाट जिले के बैहर आदिवासी अंचल में निवासरत बैगा आदिवासियों के विकास के लिए परियोजना का संचालन किया जा रहा है। बावजूद इसके आज भी जंगलों और पहाडी में रह रहे बैगा आदिवासी मूलभूत जरूरतों और सुविधाओं के लिये तरस रहे हैं। इन्हें अपना राशन ले जाने के लिये दो से तीन दिन खराब करना पडता है, तब कहीं जाकर वे राशन घर ले जा पाते हैं। इस संबंध में आयोग ने संभागाायुक्त, जबलपुर संभाग, से जांच कराकर 6 सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।

जबलपुर शहर में बीटी तिराहा स्थित साक्षी विद्या मंदिर मिडिल स्कूल 1 बीएचके में संचालित हो रहा है। यह घरनुमा स्कूल पूरा कैदखाना दिखाई देता है। स्कूल संचालक विद्यार्थियों की यथार्थ संख्या नहीं बता पाये। उनका कहना था कि उनके स्कूल में 100 से 150 बच्चे ही हैं और यहां पर बिना किसी तकलीफ के शिक्षा दी जा रही है। इस संबंध में आयोग ने कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी, जबलपुर से एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
व्यास
वार्ता
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