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विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव का विरोध किया भाजपा ने

भोपाल, 29 अक्टूबर (वार्ता) मध्यप्रदेश में विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसका विरोध प्रारंभ कर दिया है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह ने आज यहां जारी एक विज्ञप्ति में कहा कि राज्य सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान अनेक वादे किए थे, जिन्हें विधान परिषद के गठन के पहले किया जाना आवश्यक है। लेकिन राज्य की कांग्रेस सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए विधान परिषद के गठन पर जोर दे रही है।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि विधान परिषद के गठन से राज्य कोषालय पर अरबों रुपयों का अनावश्यक बोझ बढ़ेगा। इसके पहले किसानों की कर्जमाफी, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने और अन्य महत्वपूर्ण वचनों को पूरा किया जाा चाहिए। राज्य में वर्तमान में प्राकृतिक आपदा आदि के कारण किसान भी परेशान हैं। इस ओर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए।
इस बीच पूर्व संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी विधान परिषद के गठन के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि इससे राज्य कोषालय पर अतिरिक्त एवं अनावश्यक भार आएगा। उन्होंने मीडिया से कहा कि सरकार इस धनराशि को विकास और अन्य महत्वपूर्ण कार्याें में लगा सकती है।
दरअसल राज्य की दस माह पुरानी कांग्रेस सरकार में इन दिनों विधान परिषद के गठन पर गहन विचार विमर्श चल रहा है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के दौरान जारी किए गए वचनपत्र में वचन दिया था कि सरकार बनने पर वह विधान परिषद का गठन करेगी।
राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा भी कह चुके हैं कि सरकार अपने वचन के अनुरूप विधान परिषद के गठन के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में सरकार स्तर पर चिंतन मनन चल रहा है।
राज्य में वर्तमान में 230 सदस्यीय विधानसभा है। अब विधान परिषद के गठन को लेकर राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और खासतौर पर संसदीय कार्य विभाग के अधिकारी सक्रिय हैं। इस संबंध में विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। विधान परिषद के गठन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के बीच माना जा रहा है कि राज्य में लगभग 75 सदस्यीय विधान परिषद का गठन होगा।
प्रशांत
वार्ता
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