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एक पखवाड़े से जारी सियासी उठापटक के बीच आरोप प्रत्यारोप का क्रम बरकरार

भोपाल, 18 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश में एक पखवाड़े से चल रही सियासी उठापटक के बीच सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप प्रत्यारोप के दौर जारी हैं। दोनों ही दलों के रणनीतिकारों के साथ ही पूरे देश की निगाहें आज दिन भर उच्चतम न्यायालय में हुयी सुनवायी पर टिकी रहीं और कल की सुनवायी पर भी नजरें रहेंगी।
इस बीच सियासी घटनाक्रम उस समय और गर्मा गया, जब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, राज्य के कई मंत्री और नेता अचानक बंगलूर पहुंचे और उन्होंने बंगलूर में कथित तौर पर बंधक 16 कांग्रेस विधायकों से मिलने की कोशिश की। लेकिन वहां सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस बल ने कांग्रेस नेताओं को ऐसा नहीं करने दिया और उन सभी को हिरासत में ले लिया गया। इन सभी घटनाक्रमों के बीच श्री सिंह ने धरना दिया, तो मीडिया से भी बात कर भाजपा पर अनेक आरोप लगाए।
दूसरी ओर राजधानी भोपाल में कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की और अनुरोध किया कि 16 'बंधक' विधायकों को मुक्त कराने में राज्यपाल अपने संवैधानिक प्रभाव का उपयोग करें। शाम को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदेश भाजपा मुख्यालय के पास पहुंचकर प्रदर्शन करने का प्रयास भी किया, लेकिन पुलिस ने कार्यकर्ताओं को मुख्यालय के नजदीक पहुंचने के पहले ही रोक लिया। कम से कम दो दर्जन कार्यकर्ता हिरासत में लिए गए हैं।
इस बीच भाजपा नेताआें ने अपने आरोप दोहराए कि अल्पमत में आ गयी कमलनाथ सरकार बहुमत साबित करने की बजाए नीतिगत निर्णय ले रही है। यह उचित नहीं है। वहीं बंगलूर में मौजूद 16 कांग्रेस विधायक और 6 पूर्व कांग्रेस विधायकों के वीडियो और पत्र भी जारी हुए, जिनमें कहा गया कि वे बंगलूर पहुंचे श्री दिग्विजय सिंह से मिलना नहीं चाहते हैं। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ चुके श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक माने जाने वाले इन विधायक और पूर्व विधायकों ने कहा कि उन्होंने पद से त्यागपत्र दे दिया है और वे उस पर कायम हैं। इन नेताओं ने इस बात से भी इंकार किया कि उन्हें बंधक बनाया गया है।
दूसरी ओर प्रदेश भाजपा की ओर से एक शिकायत निर्वाचन आयोग में की गयी, जिसमें आराेप लगाया गया है कि राज्यसभा के लिए राज्य से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं। वे राज्य के लगभग नौ मंत्रियों के साथ बंगलूर पहुंचे। जबकि राज्यसभा चुनाव के चलते आदर्श आचार संहिता प्रभावी है।
इन स्थितियों के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित की। इसके अलावा अन्य सरकारी कामकाज भी निपटाए। श्री कमलनाथ ने मीडिया से चर्चा में भाजपा पर जमकर हमले बोले और कहा कि वह धनबल के जरिए वह राज्य की सरकार को अस्थिर कर रही है, लेकिन वे ये प्रयास सफल नहीं होने देंगे। श्री कमलनाथ ने दावा किया कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कर्नाटक के मुख्यमंत्री से फोन पर चर्चा का प्रयास किया, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली। उन्होंने यह भी कहा कि यदि जरुरत पड़ी तो वे स्वयं बंगलूर जाएंगे।
दूसरी ओर भाजपा के सभी विधायक भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दूर सीहोर के एक होटल में रुके हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होटल में ही मीडिया से चर्चा में कमलनाथ सरकार पर जमकर हमला किया और कहा कि अल्पमत की सरकार अभी भी बाज नहीं आ रही है। वह अब भी संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां कर रही है। श्री चौहान का कहना है कि मौजूदा सरकार को ऐसा करने का हक नहीं है।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में कांग्रेस सरकार पर पिछले एक पखवाड़े से संकट है, लेकिन तीन मार्च से अब तक तीन दर्जन आईएएस, तीन दर्जन राज्य प्रशासनिक सेवा और अन्य अधिकारियों कर्मचारियों के तबादले किए गए हैं। संवैधानिक पदों पर भी नियुक्तियां की गयी हैं। ये कार्य अवैधानिक और अनैतिक हैं।
श्री अग्रवाल ने यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा घटनाक्रमों से कांग्रेस डरी हुयी है, इसलिए उसके कार्यकर्ता हिंसा पर उतारु नजर आ रहे हैं। भाजपा कार्यालय पर 'हमला' इसका प्रमाण है।
इन सभी राजनैतिक हालातों के बीच कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों की मुख्य उम्मीद बंगलूर में ठहरे 22 कांग्रेस विधायकों के रुख पर टिकी हुयी हैं, जिन्होंने दस मार्च को ही अपने त्यागपत्र दे दिए हैं। इन 22 में से छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार हो गए हैं। ये छह विधायक कमलनाथ सरकार में मंत्री थे और मुख्यमंत्री ने उन्हें बगावती रुख अपनाने के कारण मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया है। शेष सोलह विधायकों के त्यागपत्र अभी तक स्वीकार नहीं हुए हैं। इन सभी मुद्दों पर ही उच्चतम न्यायालय में सुनवायी आज हुयी और कल सुबह साढ़े दस बजे फिर होगी। जबकि कांग्रेस का कहना है कि इन सोलह विधायकों को वापस भोपाल लाया जाए और मुक्त वातावरण में रहने दिया जाए।
दूसरी ओर कांग्रेस के सभी विधायकों को एकसाथ यहां एक होटल में रुकवाया गया है। इन सभी हालातों के बीच पुलिस और प्रशासन ने शहर के प्रमुख संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्रों में ऐहतियातन निषेधाज्ञा लागू की है।
प्रशांत
वार्ता
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