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ओपन मार्केट स्कीम से गेहूँ के फ्लोर मिलर्स के लिये प्रदाय व्यवस्था

भोपाल, 29 मार्च (वार्ता) मध्यप्रदेश में भारतीय खाद्य निगम ने ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत गेहूँ के फ्लोर मिलर्स और गेहूँ से विभिन्न उत्पाद बनाने वाले निर्माताओं को गेहूँ प्रदाय करने की व्यवस्था की है।
संचालक खाद्य-नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण अविनाश लवानिया ने कहा है कि फ्लोर मिलर्स और गेहूँ से विभिन्न उत्पाद बनाने वाले निर्माताओं द्वारा उनकी क्षमता अनुसार इस स्कीम में बगैर ऑन-लाईन निविदा के भारतीय खाद्य निगम से गेहूँ निर्धारित दर पर क्रय किया जा सकेगा। इसके लिये भारतीय खाद्य निगम में पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं होगी। यह व्यवस्था गेहूँ को क्रय कर उसके पुन: विक्रय करने के लिये ले जाने के लिये नहीं है। क्रेता द्वारा यह जानकारी संबंधित संभागीय प्रबंधक के ई-मेल आई.डी. पर भेजी जा सकती है।
ओपन मार्केट स्कीम में गेहूँ प्रदाय के लिये भारतीय खाद्य निगम द्वारा जिले की पीडीएस की आवश्यकता को छोड़कर शेष सरप्लस मात्रा की गणना के बाद गोदामों को चिन्हांकित किया जाएगा एवं उन्हीं चिन्हित गोदामों से गेहूँ का उठाव क्रेता को करना होगा। क्रेता द्वारा क्रय मात्रा की संपूर्ण राशि कर सहित भारतीय खाद्य निगम के संभागीय कार्यालय में भौतिक रूप से अथवा ऑनलाईन ट्रांजेक्शन से जमा करने के बाद उसकी पुष्टि कर संबंधित भारतीय खाद्य निगम के संबंधित संभागीय कार्यालय द्वारा रिलीज आर्डर जारी किया जाएगा।
इस व्यवस्था में उपभोक्ता द्वारा प्रति सप्ताह 10 से 5000 मीट्रिक टन तक क्षमता अनुसार गेहूँ क्रय किया जा सकेगा। किसी भी उपभोक्ता को 10 मीट्रिक टन से कम मात्रा में गेहूँ एक बार में विक्रय नहीं किया जा सकेगा। चिन्हित गोदामों से स्टॉक जारी करने की व्यवस्था पूर्ववत् रहेगी। कोरोना वायरस के कारण लॉक-डाउन की स्थिति में जिला प्रशासन संबंधित क्रेता को ट्रकों के मूव्हमेंट एवं हम्माल आदि के लिये आवश्यक सहयोग प्रदान करेंगे।
जिलों से इस विक्रय व्यवस्था अनुसार प्रतिदिन उठाव किये गये गेहूँ की एकजाई रिपोर्ट भारतीय खाद्य निगम के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा संचालनालय खाद्य-नागरिक आपूर्ति विभाग को प्रेषित करनी होगी।
इस संबंध में कलेक्टरों से कहा गया है कि प्रदेश में भण्डारित स्कंध के शीघ्र निराकरण एवं खाद्यान्न की खुले बाजार में उपलब्धता बनाये रखने के लिये इस स्कीम में अधिक से अधिक गेहूँ का विक्रय कराया जाए। साथ ही सुनिश्चित किया जाए कि विक्रित गेहूँ रि-सायकल होकर उपार्जन केन्द्रों पर किसी भी दशा में न आ पाये।
विश्वकर्मा
वार्ता
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