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कोल परिवहन को प्राथमिकता देने और यात्री ट्रेने रद्द होने पर उच्च न्यायालय सख्त

बिलासपुर 23 मार्च(वार्ता)छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कोल परिवहन को प्राथमिकता देने और यात्री ट्रेनों के निरन्तर रद्द होने पर कड़ा रूख अपनाते हुए रेलवे को इस बारे में प्रति शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की दो सदस्यीय खंडपीठ ने यात्री ट्रेनों के लगातार निरस्त होने के मामले में दाखिल एक जनहित याचिका की आज फिर सुनवाई की।पूर्व में हुई सुनवाई में यात्री ट्रेनों को निरंतर रद्द करने के मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र शासन और रेलवे बोर्ड से इस बारे में निर्देश लेकर जानकारी प्रस्तुत करने को कहा था। आज खंडपीठ ने रेलवे बोर्ड से शपथपत्र पर रेल परिचालन को लेकर सारी जानकारी देने का निर्देश दिया।पीठ ने मामले को तीन सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया हैं।
उच्च न्यायालय में कमल कुमार दुबे ने एक जनहित याचिका दाखिल की है जिसमें बताया गया है कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में यात्री गाड़ियाँ लगातार रद्द की जा रहीं हैं। यात्रियों को अनेक अवसरों पर अचानक ही मालूम चलता है कि, अब यह एक्सप्रेस या पेसेंजर ट्रेन अब नहीं जाएगी। इसके साथ ही कई बार बीच रास्ते में ही ट्रेन निरस्त की जाती है। इसकी वजह से हजारों की संख्या में आने जाने वाले यात्रियों को बेहद परेशान होंना पड़ता है। लंबे समय से रेलवे इसी तरह का व्यवहार करता आ रहा है, इसका निवारण करने में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।याचिका में बताया गया कि दूसरी ओर माल गाड़ियाँ उसी रूट पर लगातार चलाई जा रहीं हैं।
आज हुई सुनवाई में रेलवे ने बताया कि देश में कोल परिवहन को प्राथमिकता दी जा रही है।उसने यह भी कहा कि इस संक्रमण काल के बाद कुछ समय में सब कुछ ठीक कर लिया जायेगा। सिर्फ छोटी दूरी की गाड़ियां ही रोकी जाती हैं। दूर की गाड़ियों को निरंतर चलाया जा रहा है। अदालत ने इन सब बिन्दुओं को लेकर शपथपत्र दाखिल करने को कहा हैं।
साहू
वार्ता
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