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फर्जी पहचान-पत्र बनाने के मामले में आरोपी गिरफ्तार

भोपाल, 17 अप्रैल (वार्ता) मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की सायबर क्राइम पुलिस ने ऑनलाइन माध्यम से फर्जी पहचान-पत्र बनाकर देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया तथा आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालने वाले आरोपी को बिहार के पूर्वी चंपारण से गिरफ्तार किया है।
एडीजी, स्टेट सायबर पुलिस योगेश देशमुख ने सायबर सेल मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा समस्त राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को यह शिकायत भेजी गई कि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा फर्जी वेबसाइट बनाकर उससे लोगों के अवैध मतदाता फोटो पहचान पत्र तैयार किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य सायबर पुलिस मुख्यालय ने इसे गंभीरता से लिया और तत्काल अपराध पंजीब‌द्ध कर विवेचना में लिया। राज्य सायबर टीम ‌ने बिहार के हरसिद्धि, मोतिहारी, पूर्वी चंपारण में तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर अलग-अलग स्थानों पर आरोपी की पहचान स्थापित करने के लिए ओपन सोर्स इंटेलिजेंस नेटवर्क टूल्स के आधार पर कई लोगों से पूछताछ की। इस मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर अपराध में प्रयुक्त फर्जी बैंक खातों की पासबुक, एटीएम कार्ड, पेटीएम क्यूआर कोड, सोर्स कोर्ड आदि जब्त किए। आरोपी रंजन चौबे (20) निवासी सोनवर्षा, थाना हरसिद्धि, जिला पूर्वी चंपारण, बिहार को गिरफ्तार कर लिया गया।
श्री देशमुख ने बताया कि आरोपी ‌द्वारा बनाई गई फर्जी वेबसाइट के माध्यम से कोई भी व्यक्ति किसी भी अन्य का फोटो. नाम, पता, हस्ताक्षर एवं अन्य जानकारी का उपयोग कर फर्जी मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड प्राप्त करने के लिए क्यूआर कोड के माध्यम से मात्र 20 रुपए का भुगतान कर फर्जी आईडी प्राप्त कर सकता था या फिर उसे मूल आईडी के रूप में भी उपयोग कर सकता था। उन्होंने बताया कि इस फर्जी वेबसाइट पर अब तक 28 हजार हिट्स हो चुके हैं और नवंबर से अब तक आरोपी इस वेबसाइट के माध्यम से 3 लाख रुपए ठग चुका है।
उन्होंने बताया कि आरोपी रंजन मात्र 10वीं उत्तीर्ण था । उसने वेबसाइट बनाने का पूरा कार्य यू-ट्यूब के माध्यम से सीखा । उसने ऑनलाइन माध्यम से सोर्स कोड खरीदा और उसमें परिवर्तन कर फर्जी खाते में रुपए प्राप्त करने लगा। उसने उत्तर प्रदेश से फर्जी सिम ली, पेटीएम व एसबीआई के फर्जी खाते बनाए और डार्कवेब से फर्जी क्रेडिट कार्ड भी बनाया। वेबसाइट तैयार करने के लिए आरोपी ने विदेश में स्थित कंपनी से डोमेन खरीदा, टेलीग्राम के माध्यम से फर्जी पहचान प्राप्त करके सर्वर स्पेस खरीदा और अमेरिकन सर्वर के माध्यम से इनडायरेक्ट क्लाउड होस्टिंग की। आरोपी हर कम्युनिकेशन के लिए फर्जी ई-मेल का इस्तेमाल करता था।
एडीजी श्री देशमुख ने कहा कि किसी भी असुरक्षित और फर्जी वेबसाइट पर विजिट करने से बचें। मतदान पहचान पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि किसी भी तरह के पहचान-पत्र सदैव शासन द्वारा मान्य या सत्यापित वेबसाइट से ही
बनवाएं।
नाग
वार्ता
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