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केदार पुनर्निर्माण कार्यों में नाम बड़े पर दर्शन छोटे: कैग

देहरादून 23 फरवरी (वार्ता) उत्तराखंड में वर्ष 2013 की त्रासदी के बाद फिर से निर्माण कार्य को लेकर भारत के नियत्रंक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में गंभीर अनियमित्ताएं उजागर होने से राज्य सरकार कटघरे में आ गयी है। आपदा आने के बाद पुनः निर्माण कार्य को लेकर अपनी पीठ थपथपाने वाली कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की सरकारें अब बेनकाब होती नजर आ रही हैं।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार सरकार भले ही बजट का रोना रोती रही हो लेकिन हकीकत में परियोजनाओ के लिए स्वीकृत धनराशी का उपयोग करने में सरकार पूरी तरी नाकाम रही है। नतीजतन 4617.27 करोड की धनराशी प्राप्त होने के बावजूद सरकार केवल 3708.27 करोड रुपए ही खर्च कर सकी है।
सूत्रो के अनुसार आपदा की चपेट में आए जिलो में 19 हेलीपोटर्स, 34 हैलीपैड और 37 बहुदेशनीय हाल बनवाए जाने थे जिसमें से केवल 27 हेलीपैड का ही निर्माण हो सका है। केन्द्र सरकार द्वारा 319.75 करोड रुपए की धनराशी गौरीकुंड और केदारनाथ के बीच रोपवे का निर्माण, आश्रय सह गोदामों और केदारनाथ टाउनशिप के दूसरे चरण के कार्य सहित तमाम योजनाओ के लिए धनराशी आवंटित नहीं की।
कैग की रिर्पोट में सरकार की नाकामी उजागर होती है। वर्ष 2013 में आयी आपदा से प्रभावित क्षेत्रो की बदहाली को सुधारने के लिए जिस तरह कार्य किया जाना चाहिए था उस प्रकार का कार्य वास्तविक रूप से दिखाई नही दिया जिसके कारण अन्य कार्यो के लिए धनरशी आवंटित नही की गई। आपदा के बाद पुनः निर्माण कार्य की कैग रिपोर्ट शुक्रवार को विधान सभा में पेश की गई।
वर्ष 2013 में आई भयंकर आपदा के समय कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार शासन में थी जिसके बाद 2014 से 2017 तक कांग्रेस की ही हरीश रावत की सरकार रही। हरीश रावत की सरकार में पुनः निर्माण कार्य किए गए। यही नहीं वर्तमान सरकार (मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नीत भाजपा सरकार) भी उसी रास्ते पर चलती रही और केदार नाथ में आवास, धामों के विकास, पर्यटन एंव रोजगार के जुड़ी येाजनाओं के लिए केन्द्र से प्राप्त धनराशि का उपयोग नहीं कर पायी।
देवेंद्र.संजय
वार्ता
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