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प्रौद्योगिकी का न्याय प्रणाली पर व्यापक प्रभाव : न्यायमूर्ति राव

देहरादून 13 अप्रैल (वार्ता) उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव ने शनिवार को कहा कि चाहे जांच के तरीकों में तकनीकी विकास हो या रिकॉर्ड रखने के काम के क्षेत्र में, प्रौद्योगिकी हमारे गतिशील न्याय प्रणाली पर व्यापक प्रभाव डाल रही है।
न्यायमूर्ति राव ने यहां आईसीएफएआई विश्वविद्यालय में ‘तकनीकी विकास और कानून के बदलते आयाम’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा,“छात्रों को यह समझने में रुचि लेनी चाहिए कि प्रौद्योगिकी कैसे अदालत में उनके काम और प्रदर्शन की दक्षता में सुधार करती है। न्यायपालिका पेपरलेस कोर्ट बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और नागरिकों के लिए कई अदालतों में अब ई-फाइलिंग जैसी सुविधाएं शुरू की जा रही हैं। जांच के लिए ब्रेन मैपिंग और नार्को एनालिसिस का भी उपयोग किया जाता है और परिणाम हमेशा कहानी और निर्णय के लिए परिस्थिति के अनुसार साक्ष्य के साथ मिलाये जाते हैं।”
उन्होने कहा,“एक तरफ, मोबाइल फोन रिकॉर्ड और अभियुक्तों के कंप्यूटर में जानकारी का उपयोग पूछताछ के लिए अदालतों में किया जाता है और मोबाइल फोन के दूसरे उपयोग पर भी व्यक्तियों की गोपनीयता की सुरक्षा के लिए प्रमुख चिंताएं हैं। इसलिए कानून को जानना, कानून के छात्रों के लिए पर्याप्त नहीं है, ज्ञान में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग और तकनीकी विकास का ज्ञान ही समाज की मदद के लिए महत्वपूर्ण है।”
इस सम्मेलन का आयोजन कानून के क्षेत्र में हो रहे तकनीकी प्रगति के बारे में बात करने के लिए किया गया है। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ लॉ प्रो. आर के मुरली और लखनऊ के बीबीएयू केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्कूल फॉर लीगल स्टडीज की प्रो. प्रीति सक्सेना, दूहरादून लॉ कॉलेज के प्राचार्य डा. राजेश बहुगुणा तथा ओडिशा के कटक स्थित नेशनल लॉ विश्वविद्यालय के डा. योगेश पी सिंह भी मौजूद थे।
सं.संजय
वार्ता
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