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अध्यादेश मामले में सरकार से मांगा शपथपत्र

नैनीताल, 15 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखंड के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियाें को सुविधायें देने के मामले में पारित अध्यादेश की वैधानिकता को लेकर मंगलवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई नहीं हो पायी। इस मामले में अब गुरुवार को सुनवाई होगी।
वहीं न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह 17 अक्टूबर तक जवाब पेश करे कि प्रकरण से जुड़े सभी पक्षकारों को नोटिस भेजे गये हैं या नहीं? इस मामले का खास पहलू यह है कि इस प्रकरण में अदालत ने महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को भी पक्षकार बनाया है। अदालत ने उन्हें भी नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में इस प्रकरण पर आज सुनवाई होनी थी। इस मामले में श्री कोश्यारी समेत अन्य तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूरी और विजय बहुगुणा को पक्षकार बनाया गया है और सरकार समेत सभी को नोटिस जारी किया गया है।
अदालत ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को भी विगत 16 सितम्बर को पक्षकार बनाने के निर्देश याचिकाकर्ता को दिये थे और उन्हें भी नोटिस जारी किये थे। याचिकाकर्ता की ओर से सोमवार को अदालत के संज्ञान में लाया गया कि सरकार की ओर से नोटिस जारी नहीं किये गये हैं। इसके बाद अदालत ने इस प्रकरण को आज सुनवाई के लिये तय किया और सरकार से 17 अक्टूबर तक शपथपत्र पेश करने को कहा कि सभी पक्षकारों को नोटिस सर्व किये गये है या नहीं।
अध्यादेश को देहरादून की गैर सरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) की ओर से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि अध्यादेश असंवैधानिक है और उच्च न्यायालय के 03 मई 2019 को दिये गये आदेश को पलटने (ओवर रूल) के उद्देश्य से सरकार अध्यादेश लायी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार को इस प्रकार की कोई विधायी शक्ति प्राप्त नहीं है। जिससे अदालत के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाया जा सके।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने विगत 05 सितम्बर को उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा (आवासीय एवं अन्य सुविधायें) अध्यादेश, 2019 को मंजूरी दी थी। न्यायालय के आदेश के बाद इस अध्यादेश को राज्य के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देने के रूप में देखा जा रहा था। जिन्हें उच्च न्यायालय ने छह माह के अंदर 2.8 करोड़ रुपये की धनराशि सरकारी आवास एवं अन्य मदों के बदले में जमा करने के निर्देश दिये थे।
रलेक संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए 03 मई 2019 को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सभी पांच मुख्यमंत्रियों को बाजार दर पर आवास किराया समेत अन्य चीजों का भुगतान करने के निर्देश दिये थे। अदालत ने यह भी कहा था कि यदि प्रतिवादी अदालत के निर्देश का पालन नहीं करते हैं तो सरकार उनसे वसूली की कार्यवाही कर सकती है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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