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देवस्थानाम् बोर्ड को लेकर उच्च न्यायालय ने सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल, 29 जून (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चारधाम के मंदिरों को लेकर बनाये गये देवस्थानम् बोर्ड अधिनियम के खिलाफ दायर श्रीकेदारनाथ सभा की याचिका को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार से एक जुलाई तक जवाब पेश करने को कहा है।
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन तथा न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए श्रीकेदारनाथ सभा की याचिका में उठाये गये बिन्दुओं पर राज्य सरकार से एक जुलाई तक जवाब पेश करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एम सी पंत ने न्यायालय को बताया कि देवस्थानम् बोर्ड के सदस्य का पद लाभ का पद है और मुख्यमंत्री और संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य लोग इसके सदस्य नहीं हो सकते हैं। साथ ही मुख्यमंत्री के अलावा ब्यूरोक्रेट्स भी इसके सदस्य नहीं बनाये जा सकते हैं। याचिका में सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि सरकार देवस्थानम् बोर्ड को सरकारी विभाग की तरह से संचालित करना चाहती है जो कि गलत है। बोर्ड में तीर्थ पुरोहितों को समुचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है।
श्री पंत ने कहा कि देवस्थानम् बोर्ड के बनने से तीर्थ पुरोहितों के पूजा तथा दक्षिणा जैसे परंपरागत अधिकारों का हनन हुआ है। याचिकाकर्ता की ओर से टिहरी राज परिवार के वशंजों को भी बोर्ड में सदस्य के रूप में नामित किये जाने को गलत बताया गया है।
सं राम
वार्ता
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