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पशुपालकों की सुविधा के लिये टोल फ्री नम्बर शुरू

देहरादून 23 नवम्बर(वार्ता) उत्तराखंड के पशुपालकों की सुविधा के लिये राज्य सरकार ने सोमवार को एक टोल फ्री नम्बर शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने संयुक्त रूप से सचिवालय में पशुपालन एवं मत्स्य विभाग की समीक्षा के दौरान, यह नम्बर शुरू किया।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि सीएम स्वरोजगार योजना के तहत पशुपालन विभाग द्वारा रोजगार सृजन के लिए किये जा रहे कार्यों की प्रतिमाह राज्य स्तर पर समीक्षा की जाय। उन्होंने कहा कि कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य के क्षेत्र में रोजगार की अनेक संभावनाएं हैं। इसके लिए विभाग द्वारा किये जा रहे विभिन्न कार्यों एवं सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक किया जाय। उन्होंने कहा कि ऊन उत्पादन से पशुपालकों की आय में कैसे वृद्धि की जा सकती है और इसके अच्छे इस्तेमाल के लिए वैल्यू एडिशन की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाय।
श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि पोल्ट्री, दुग्ध उत्पादन, ऊन उत्पादन आदि क्षेत्रों में किन जनपदों में अच्छा कार्य किया जा रहा है और किन जनपदों को और कार्य करने की जरूरत है, इसकी नियमित निगरानी की जाय। कृषकों एवं पशुपालकों को वार्षिक आय वृद्धि के लिए विभाग द्वारा प्रयास किये जाय।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालकों की आय में वृद्धि के लिए कॉपरेटिव बनाये जाय। जिससे पशुपालक दुग्ध उत्पादन और उसकी मार्केटिंग का कार्य करेंगे तो उनके शुद्ध लाभ में वृद्धि होगी। दुग्ध और उससे बनने वाले उत्पादों के लिए विकास केन्द्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, इसके लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि महिलाओं के सिर से घास का बोझ हटे, इस दिशा में पशुपालन विभाग को ध्यान देने की जरूरत है। सालभर में कई दुर्घटनाएं घास लाते समय गिरने एवं जंगली जानवरों की वजह से हो जाती हैं। दुधारू पशुओं के लिए पर्याप्त आहार की व्यवस्था घरों तक कैसे हो सकती है, इसकी व्यवस्था की जाय।
बैठक में जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत पशुपालन विभाग द्वारा 523 लाभार्थियों को ऋण उपलब्ध कराया गया है। पर्वतीय राज्यों में दुग्ध उत्पादन में उत्तराखण्ड का दूसरा स्थान है। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 17.34 लाख पशुओं का टीकाकरण किया गया है। राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत वर्ष 2020-21 हेतु केन्द्र सरकार द्वारा 16 करोड़ 80 लाख की धनराशि अवमुक्त की गई है। पशुधन बीमा योजना के तहत 77 हजार से अधिक पशुओं को बीमा किया गया है। खुरपका एवं मुंहपका रोग को 2025 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
मत्स्य विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में कार्य करने के लिए लोग रूचि दिखा रहे हैं। इसमें कम खर्चे पर अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि मत्स्य पालन के लिए धनराशि बढ़ाई जाय। ट्राउट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाय। मत्स्य पालन में कम लागत में अच्छी आय अर्जित की जा सकती है। इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाय।
बैठक में बताया गया कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत 43.10 करोड़ के प्रोजेक्ट के संचालन की स्वीकृति प्राप्त हुई है। तीन करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त हो चुकी है। राज्य समेकित सहकारिता विकास परियोजना के अन्तर्गत मात्स्यिकी विकास हेतु कुल 164 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। ट्राउट फार्मिंग हेतु चमोली, रूद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी, बागेश्वर एवं पिथौरागढ़ जनपदों का चयन किया गया है। राज्य समेकित सहकारिता विकास परियोजना के अन्तर्गत मत्स्य के क्षेत्र में 3200 से अधिक लोगों को रोजगार प्राप्त हुआ है।
इस अवसर पर, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, एच सी सेमवाल, अपर सचिव डॉ वी. षणमुगम, विशेष सचिव मुख्यमंत्री डॉ. पराग मधुकर धकाते, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
सं. उप्रेती
वार्ता
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