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उच्च न्यायालय का चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर सुनवाई से इनकार

नैनीताल, 08 सितम्बर (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने में चारधाम यात्रा शुरू करने के मामले में सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाले अदालत ने कहा कि जब तक शीर्ष अदालत में यह मामला लंबित है तब तक उच्च न्यायालय इस पर सुनवाई नहीं करेगा।
याचिकाकर्ता सचिदानंद डबराल के अधिवक्ता शिव भट्ट और महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने इस मामले को आज मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ के समक्ष उठाया गया। अधिवक्ता शिव भट्ट ने कहा कि चारधाम यात्रा को शुरू करने को लेकर टूर एवं ट्रेवल्स के 14 यूनियन के पदाधिकारियों ने उनसे मुलाकात की।
उसके बाद सभी पक्षों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज से मिले और चार धाम यात्रा शुरू कराने का अनुरोध किया। सरकार की ओर से तय किया गया कि उच्चतम न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र देकर मामले को चुनौती देने वाली याचिका को वापस लिया जायेगा। श्री बाबुलकर ने अदालत को यह भी बताया गया कि उच्चतम न्यायालय में प्रार्थना पत्र पेश कर दिया गया है।
अतः दोनों की ओर से अदालत से इस मामले की सुनवाई करने और चारधाम यात्रा शुरू करने पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया गया लेकिन अदालत ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि जब तक शीर्ष अदालत में मामला लंबित है और अदालत मामले को वापस लेने की अनुमति नहीं देती है तब तक वह इस मामले में सुनवाई नहीं करेंगा।
दूसरी ओर सरकारी सूत्रों ने बताया कि पर्यटन और संस्कृति सचिव सचिव हरीश चंद्र सेमवाल (उत्तराखंड शासन) की ओर से उच्चतम न्यायालय में सात सितम्बर मंगलवार को प्रार्थना पत्र देकर चारधाम यात्रा पर लगी रोक को हटाने को लेकर दायर विशेष याचिका को वापस लेने का अनुरोध किया गया। उच्चतम न्यायालय ने इस प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के लिये 15 सितम्बर की तिथि नियत की है।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कोरोना महामारी को देखते हुए इसी साल 28 जून को अंतरिम आदेश पारित कर चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। इसके बाद प्रदेश सरकार की ओर से उच्च न्यायालय के फैसले को छह जुलाई 2021 को विशेष याचिका के माध्यम से शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी। जिस पर अभी तक सुनवाई नहीं हो पायी है।
रवीन्द्र राम
वार्ता
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