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उत्तराखंड में जेलों की स्थिति को लेकर न्यायालय ने गृह सचिव तथा आईजी जेल को किया तलब

नैनीताल, 21 अक्टूबर (वार्ता) उत्तराखंड में जेलों की स्थिति को लेकर उच्च न्यायालय ने राज्य के गृह सचिव महानिरीक्षक जेल को तलब किया है।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की अगुवाई वाली पीठ ने बुधवार को जेलों की दयनीय हालत को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए गंभीर चिंता व्यक्त करने के साथ ही सख्त टिप्पणियां कीं। न्यायालय ने माना कि उत्तराखंड की जेलों में बंदियों के मानवाधिकारों का स्पष्ट रूप से हनन हो रहा है, जो संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है।
न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त किया कि चंपावत में स्थित जेल की एक छोटी कोठरी में छह महिलाओं का एक साथ रखा गया है। न्यायालय ने कहा कि यह मानवाधिकारों के हनन का बड़ा उदाहरण है। इसके बाद न्यायालय ने जेल महानिरीक्षक ए.पी. अंशुमान तथा प्रदेश के गृह सचिव को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया।
न्यायालय ने सरकार की ओर से पेश आंकड़ों पर सख्त लहजों में टिप्पणी की और कहा कि सरकार तथा अधिकारी सोये हुए हैं। न्यायालय ने यह भी कहा कि जेल कर्मचारियों के आवास से ज्यादा अहम बैरकें हैं। न्यायालय ने इस पर भी हैरानगी जताई की प्रदेश में मात्र एक केन्द्रीय कारागार (जेल) है।
न्यायालय ने निर्माण कार्य की कछुआ चाल पर भी चिंता जताई और कहा कि 2014 के लक्ष्य को 2021 तक भी पूरा नहीं किया गया है। पिथौरागढ़ में एक दीवार बनाने में सात करोड़ रुपये खर्च कर दिये गये।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार सभी जेलों में क्षमता से दो सौ से तीन सौ फीसदी बंदी ठूंसे गये हैं। चंपावत जिला जेल की क्षमता 500 की है, लेकिन यहां 1700 बंदी रखे गये हैं। इसी प्रकार देहरादून में 580 की जगह 1400, हरिद्वार में 814 की जगह 1302, टिहरी में 150 की जगह 218, अल्मोड़ा में 102 की जगह 285, पौड़ी में 150 की जगह 186, नैनीताल में 71 के स्थान पर 79, सितारगंज केन्द्रीय कारागार में 552 के सापेक्ष 613 व हल्द्वानी उपकारागार में 535 के सापेक्ष 1478 बंदी रखे गये हैं। एकमात्र चमोली जेल में क्षमता से कम बंदी हैं। पदों के मामले में भी जेलों की स्थिति दयनीय है। 40 प्रतिशत से अधिक पद जेलों में खाली पड़े हुए हैं।
पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) जेल ए.पी. अंशुमान की ओर से उच्च न्यायालय में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में बंदियों के मामले में जेलों की क्षमता कुल 3540 है, जबकि इनमें 6608 बंदी रखे गये हैं।
सं. संतोष
वार्ता
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