Friday, Apr 26 2024 | Time 17:03 Hrs(IST)
image
राज्य » अन्य राज्य


हिमाचल में 3,557 करोड़ रुपये से अधिक का दुरुपयोग : सीएजी

शिमला, 13 अगस्त (वार्ता) हिमाचल प्रदेश विधानसभा में वित्त पर पेश किए गए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट ने संकेत दिया कि राज्य सरकार द्वारा खर्च और उपयोग की गयी 3557.83 करोड़ रुपये की राशि दुरुपयोग के उच्च जोखिम में आती हैं क्योंकि अब तक लगभग 2800 के उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) प्रस्तुत नहीं किए गए है।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शनिवार को यहां मानसून सत्र के दौरान वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सीएजी की रिपोर्ट पेश की।
सीएजी के निष्कर्ष में कहा गया है कि उसके पास वास्तव में खर्च या उपयोग की गई 3,557.83 करोड़ रुपये की राशि का ठोस आश्वासन नहीं है , जिसने विधायिका की समीक्षा की थी। सीएजी ने बताया कि 31 मार्च, 2021 तक कुल 2799 की राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है, जिसमें दुरुपयोग का जोखिम शामिल है। सीएजी ने यह भी कहा कि 227.65 करोड़ रुपये की राशि, उप-वाउचर और अन्य सहायक दस्तावेज वास्तविक व्यय के प्रमाण के रूप में प्रधान महालेखाकार को प्रस्तुत नहीं किए गए है । कुल 227.65 करोड़ रुपये की राशि को व्यय के रूप में नहीं माना गया है और शीर्ष ‘सस्पेंस पब्लिक अकाउंट’ के तहत रखा गया है। मार्च 2021 के अंत में इस मद के तहत प्रोग्रेसिव बैलेंस 1,631.05 करोड़ रुपये हो गया।
वर्ष 2020-21 के दौरान, 1,970.76 करोड़ रुपये की कुल राशि के लिए कुल 1,312- उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) जमा करने थे ,लेकिन संबंधित निकायों और अधिकारियों द्वारा प्रदान किए गए अनुदान सहायता के एवज में प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। इसके अलावा, 2019-20 तक जमा करने के लिए कुल 1,587.07 करोड़ रुपये की राशि के लिए 1,487 उपयोगिता प्रमाण पत्र भी 31 मार्च 2021 तक बकाया थे।
रिपोर्ट में कहा गया है लेखापरीक्षक ने यह भी पाया कि आहरण एवं संवितरण अधिकारी (डीडीओ) कोषागार से आकस्मिक प्रकृति के अग्रिमों को आहरित करने के लिए उसी प्रपत्र (अर्थात एचपीटीआर-5) का उपयोग कर रहे थे, जैसा कि व्यय की अन्य सभी नियमित प्रकृति के लिए किया जाता है।
इसने आगाह किया कि अग्रिम आहरित और निगरानी नहीं की गई और उसका हिसाब नहीं दिया गया, इससे दुरूपयोग और दुर्विनियोजन की संभावना बढ़ जाती है।
सैनी अशोक
वार्ता
image