राज्य » अन्य राज्यPosted at: Mar 22 2024 4:42PM उत्तराखंड में 28 सजायाफ्ता बंदियों की होगी समय पूर्व रिहाईनैनीताल, 22 मार्च (वार्ता) उत्तराखंड सरकार सजायाफ्ता 28 बंदियों की समय पूर्व रिहाई करेगी। उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद प्रदेश सरकार ने इन बंदियों की रिहाई का निर्णय लिया है। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने शुक्रवार को यह बात मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ के समक्ष रखी। मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली युगलपीठ में शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई हुई। श्री बाबुलकर की ओर से अदालत को बताया गया कि रिमिशन कमेटी की 21 मार्च को हुई बैठक में प्रदेशभर की जेलों में बंद 167 बंदियों के मामले में विचार किया गया। फिलहाल 28 बंदियों को रिहा करने का निर्णय लिया गया है। दस अन्य बंदियों का मामला विचाराधीन है जबकि एक की मौत हो गयी है। उन्होंने आगे कहा कि कुछ बंदियों पर जघन्य अपराधिक घटनाओं में शामिल होने का आरोप हैं और कुछ के खिलाफ केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से जांच की जा रही है।इसके बाद अदालत ने 28 बंदियों को शनिवार सुबह तक रिहा करने को कहा। सरकार ने हालांकि, इसमें असमर्थता जताई और कहा कि रिहाई से पूर्व राज्यपाल की अनुमति लेना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू है। इसलिये यह संभव नहीं है। इसके बाद अदालत ने कहा कि वह इस मामले में आदेश जारी कर रहे हैं।यही नहीं अदालत ने कहा कि वह शेष बंदियों की रिहाई के मामले में मैरिट के आधार पर सुनवाई करेगी और रिहाई पर करेगी। अदालत के रूख से साफ है कि अधिकांश बंदियों की रिहाई का रास्ता साफ हो सकेगा। अदालत ने शेष बंदियों के मामले में सुनवाई के लिये 28 अप्रैल की तिथि तय कर दी। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय (एससी) ने सभी प्रदेश सरकार को बुजुर्ग और गंभीर रूप से बीमार बंदियों की समय पूर्व रिहाई के आदेश दिये थे। एससी ने कहा था कि रिमिशन कमेटी बंदियों के रिहाई के पर विचार करे। इसी आधार पर उच्च न्यायालय ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दायर कर ली थी। इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने बंदियों की रिहाई के विषय में निर्णय लेने और रिपोर्ट अदालत में सौंपने को कहा था।रवीन्द्र.संजय वार्ता