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इंजीनियर्स फेडरेशन ने राजनीतिक दलों से की मांग

जालंधर 4 अप्रैल (वार्ता) ऑल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने निजीकरण के विरोध और पुरानी पेंशन शुरू करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी , कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों से मांग की है कि वे बिजली क्षेत्र एवं बिजली कर्मचारियों के हितों से जुड़े मुद्दों को अपने चुनाव घोषणापत्र में स्थान दें।
ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता विनोद कुमार गुप्ता ने गुरूवार को यहां जारी बयान में बताया फेडरेशन ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह , कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को प्रेषित पत्र में बिजली के निजीकरण की नीति से हो रहे भारी नुकसान और आम जनता पर पड़ रही महंगी बिजली की मार के साथ ही बिजली कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली और ठेके के कर्मचारियों को नियमित करने का सवाल भी उठाया है |
पत्र में लिखा गया है कि विगत वर्षों में बिजली और कोयला क्षेत्र के निजीकरण के प्रयासों के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं | बिजली के क्षेत्र में निजी घरानों को मनमानी छूट देने का नतीजा यह है कि लगभग 02.40 लाख करोड़ रुपये के बिजली संयंत्र ठप्प पड़े हैं और स्ट्रेस्ड असेट हो गए हैं जिसका खामियाजा इन्हें कर्ज देने वाले सरकारी क्षेत्र के बैंकों को भी उठाना पड़ रहा है|
बिजली फेडरेशन ने मांग की है कि राजनीतिक दल यह वादा करें कि वे एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर ( जिसमे बिजली कर्मचारी व् उपभोक्ता भी हों ) इलेक्ट्रिसिटी ऐक्ट 2003 की समीक्षा करेंगे , खासकर जल्दबाजी में बिजली बोर्डों का विघटन कर कई कार्पोरेशन बनाये जाने के दुष्परिणामों और निजीकरण हेतु किये जाने वाले और संशोधनों विशेषतया इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2014 / 2018 को पूरी तरह समाप्त करने पर विचार करेंगे | उच्च स्तरीय समिति का मुख्य उद्देश्य बिजली निगमों का एकीकरण कर बिजली बोर्ड निगम का पुनर्गठन करना होगा जिसमे बिजली उत्पादन , पारेषण और वितरण एक साथ हों |
फेडरेशन ने यह भी लिखा है कि ठेकेदारी प्रथा समाप्त कर सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और पुरानी पेंशन बहाली का वायदा भी सभी राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में करें जिससे समय रहते देश के 25 लाख बिजली कर्मी और उनके परिवार यह निर्णय ले सकें कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में उन्हें वोट दें या न दें |
ठाकुर
वार्ता
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