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हरियाणा में चार गांवों को मालिकाना हक देने की नीति बनाने को मंजूरी

चंडीगढ़, 05 मार्च (वार्ता) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में मंगलवार हुई मंत्रिमंडल की बैठक में गांव ढंढूर, पीरांवाली, झिरी (चिकनवास) और बबरान (बस्ती और डिग्गी ताल) चार गांवों में रहने वालों को आवासीय भूमि या भूखंडों का मालिकाना हक देने की नीति बनाने को मंजूरी दी है।
इस नीति के तहत 31 मार्च, 2023 तक राजकीय पशुधन फार्म, हिसार से संबंधित 1873 कनाल 19 मरला भूमि पर निर्मित आवास वाले लोग स्वामित्व अधिकार के लिए पात्र होंगे। जिन लोगों ने 250 वर्ग गज तक की भूमि पर निर्माण किया है, उन्हें दो हजार रु प्रति वर्ग गज का शुल्क चुकाने के बाद मालिकाना हक दिया जाएगा। इसी प्रकार जिन लोगों ने 250 वर्ग गज से लेकर एक कनाल तक के क्षेत्र में निर्माण किया है, उन्हें तीन हजार रु प्रति वर्ग गज का भुगतान करने पर मालिकाना हक मिलेगा।
इसके साथ ही एक से चार कनाल तक की संपत्ति वाले परिवारों को चार हजार रु प्रति वर्ग गज के हिसाब से भुगतान करना होगा। इस पॉलिसी के तहत मालिकाना हक के लिए अधिकतम अनुमानत प्लॉट का आकार चार कनाल तक है। इससे बड़े प्लॉट के दावे स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
इन चार गांवों में सरकारी पशुधन फार्म, हिसार की 1873 कनाल 19 मरला भूमि पर 31 मार्च, 2023 तक निर्मित आवास वाले भूखंड, संपत्ति के सभी कब्जाधारी और जिनके नाम जिला प्रशासन हिसार द्वारा किए गए ड्रोन-इमेजिंग सर्वेक्षण में दिखाई देते हैं, वे ही आवंटन के लिए पात्र होंगे। परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) आईडी पात्र लाभार्थियों की पहचान के लिए एकमात्र दस्तावेज़ की आवश्यकता के रूप में काम करेगी, जब तक कि सरकार द्वारा किसी अन्य दस्तावेज को अपेक्षित प्रमाण के रूप में अधिसूचित नहीं किया जाता।
विजय.संजय
वार्ता
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