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हिमालयन क्षेत्र में जलवायु बदलाव पर मंथन

शिमला, 19 मार्च (वार्ता) हिमालयन क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के कारण प्रदेश को पिछले बरसात में हुई भयंकर आपदा का सामना करना पड़ा। बीते कुछ वर्षों से तापमान में अचानक से बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जिसका सीधा असर प्रकृति के साथ मानवता पर भी देखने को मिल रहा है।
राजधानी शिमला में भी अचानक तापमान बढ़ रहा है। हिमपात भी न के बराबर हो रहा है। इससे कृषि और पर्यटन आर्थिकी पर बुरा असर हो रहा है।
इन्हीं सभी ज्वलंत मुद्दों को लेकर तीन दिवसीय शिमला क्लाइमेट मीट का मंगलवार से एक्शन ऐड, शिमला कलेक्टिव और मानव विकास संगठन संयुक्त रूप से आयोजन कर रही है। सेमिनार में विषय विशेषज्ञों के अलावा शिमला के स्कूली बच्चे भी हिस्सा ले रहे हैं। इक्कीस मार्च तक चलने वाले इस तीन दिवसीय सेमिनार में पर्यावरण में हो रहे बदलाव पर मंथन होगा। शिमला कलेक्टिव संस्था की सदस्य उमा महाजन ने कहा कि इसमें तीन दिनों के दौरान जलवायु परिवर्तन और उसके कारण पैदा हो रही परिस्थितियों को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा। इस सम्मेलन का उद्देश्य लोगों को इस विषय में जागरूक करना हैं। विचार विमर्श के बाद ड्राफ्ट रेजोल्यूशन तैयार कर सरकार को दिया जाएगा।
विशेषज्ञों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण जो आपदा प्रदेश में भी आई है वह मेनमेड है। जो हम किताबों में पढ़ते हैं और जो सिखाया जाता है वह वास्तविक डेवलपमेंट मॉडल से अलग है। इसके खिलाफ जन आंदोलन कर लड़ाई लड़ने की जरूरत है।
सेमिनार के पहले दिन बच्चों ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि पर्यावरण में बदलाव मानवीय भूल का नतीजा है बेतरतीब निर्माण के चलते प्रकृति को नुकसान हो रहा है जिसका असर मानवता पर भी हो रहा है। इसको लोगों को जागरूक होने की आवश्यकता है।आर्थिकी को भी नुकसान हो रहा है शिमला में उस तरह बर्फ नहीं गिर रही और पर्यटक नहीं आ रहा है।
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि बरसात की आपदा में प्रदेश को बड़ा नुकसान हुआ है। क्लाइमेट चेंज से कृषि पर भी असर पड़ रहा है। लोगों की गलतियों के कारण बड़ा नुकसान प्रदेश को हो रहा है।
सं.संजय
वार्ता
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