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विधी के कंठ से निकली भजनो, गजलों और सूफी गीतों की सरिता

उदयपुर 15 नवम्बर(वार्ता) पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर द्वारा आयोजित शरद रंग में दिल्ली की गायिका विधी शर्मा ने अपनी रेशमी और मधुर आवाज़ में सुरीली बंदिशें पेश कर दर्शकों के कानों को सुरों के मिठास का आभास करवा दिया।
केन्द्र के निदेशक फूरखान खान ने बताया कि शिल्पग्राम में आयोजित शरद रंग एवं एक्जॉटिक फूड फेस्टीवल के दूसरे दिन शाम को मुक्ताकाशी रंगमंच पर विधी ने अपने गायन की शुरूआत भजन से की इसके बाद अपनी परिचित शैली में उन्होंने चंद ग़ज़लें पेश की। जिसमें फज़ अहमद फैज़ की ‘‘कब याद में तेरा साथ नहीं....’’ को सुरीले अंदाज में सुनाया इसके बाद उन्होंने वसीम बरेलवी का कलाम ‘कतरा कीं आज उभरता है समंदरों के ही लहज़े में बात करता है’’ सुनाई तो दर्शकों ने करतल ध्वनि से विधी का अभिवादन किया।
इसके बाद विधी ने लोक गीतों से अपने कंठ का माधुर्य बिखेरा मगर दर्शकों को सर्वाधिक आनन्द सूफी गीतों में आया। जिसमें उन्होंने पहले कबीर की रचना ‘‘घूघट के पट खोल तोये पिय मिलेंगे’’ सुनाया। इसके बाद पारंपरिक सूफी ‘‘छाप तिलक सब छीने मोसे नैना मिलायके’’ और ‘‘मस्त कलंदर’’, ‘‘ओ री सखी मंगल गावो नी..’’ सुना कर दर्शकों को आनन्दित कर दिया। विधी के साथ बांसुरी पर पं. अजय प्रसन्ना, तबले पर गौरव राजपूत, परकशन पर सतीश सोलंकी तथा की बोर्ड पर हेमन्त सैकिया ने संगत की।
रामसिंह सैनी
वार्ता
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