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भीषण पेयजल संकट से जूझ रहा है माउंट आबू

माउंट आबू, 12 जून (वार्ता) राजस्थान में पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू परम्परागत पेयजल स्रोतों की उपेक्षा एवं निरंतर घटता भूमिगत जलस्तर के चलते भीषण पेयजल संकट से जूझ रहा है।
जानकारों ने बताया कि बारिश के पानी को रोकने के लिये पर्याप्त जलभंडारण की समुचित व्यवस्था नहीं होने से माउंट आबू हर वर्ष प्यासा ही रह जाता है। हालांकि बारिश से क्षेत्र के जलाशय कई बार लबालब हुए भी हैं, लेकिन उनसे छलककर पानी बहकर गुजरात को चला गया। जिससे यहां के लोगों गर्मी से पहले पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है।
विशेषज्ञों के अनुसार क्षेत्र में सामान्य से कम बारिश होने के बावजूद 328 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल के वनक्षेत्र में हजारों एमसीएफटी पानी व्यर्थ बहकर चला जाता है। यदि इसका आधा पानी भी रोक लिया जाए तो पर्यटन स्थल की जलापूर्ति की समस्या का समाधान संभव है। इससे पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाने वाले वनक्षेत्र में भी वर्षपर्यन्त पानी की उपलब्धता रहेगी। हरियाली होने से वन्यजीव भी आबादी क्षेत्र में नहीं भटकेंगे।
सूत्रों के अनुसार बारिश का पानी सहेजने के लिये दशकों से योजनायें बनाई जाती रही हैं, लेकिन वे कभी मूर्त रूप नहीं ले पाईं। गत चार दशक से भी अधिक समय से लम्बित सालगांव परियोजना अब तक स्वीकृति की बाट जो रही है। अगर प्रस्तावित छोटे-बड़े बांध ऐनिकट बना दिए होते तो बरसाती पानी व्यर्थ नहीं जाता और क्षेत्र में पेयजल संकट की स्थिति नहीं आती, लेकिन इन परियोजनाओं के लटके रहने का खामियाजा नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है।
अवतार सुनील
वार्ता
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