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टिड्डी पर काबू पाने के लिए सरकार कर रही है प्रयास-कटारिया

जयपुर 08 जुलाई (वार्ता) राजस्थान के कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया ने आज विधानसभा में कहा कि राज्य में टिड्डी के प्रकोप से बचने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।
श्री कटारिया ने शून्यकाल में रानीवाड़ा विधायक नारायण सिंह देवल के उठाये गये इस मामले में कहा कि टिड्डी दल बाड़मेर, जोधपुर, जालौर एवं श्रीगंगानगर जिले की तरफ बढ रहे है और इसकी रोकथाम के लिए व्यवस्था की गई हैं और 70 कर्मचारी लगे हुए हैं और वाहनों के साथ रसायनिक छिड़काव की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का दल भी निगरानी कर रहा है।
उन्होंने कहा कि सेना क्षेत्र में टिड्डी पर नियंत्रण पाने लिए केन्द्र सरकार के अधिकारियों से बात कर तथा झांड़ियों वाले इलाकों में हवाई छिड़काव के लिए अनुमति मिलने पर हवाई छिड़काव भी किया जायेगा। उन्होंने कहा कि टिड्डी के बारे में विभाग को सतर्क किया गया है। उन्होंने आश्वस्त किया कि टिड्डी दलों पर निगरानी की जा रही है और इसकी रोकथाम के हरसंभव प्रयास किये जा रहे है।
इससे पहले श्री देवल ने बताया कि जालोर जिले में टिड्डी दलों ने डेरा डाल रखा है तथा दाजीपुर, जोरादर, शिवनगर सहित दर्जन भर गांवों में टिड्डी दल पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि इस पर काबू पाने के लिए रसायन का छिड़काव किया गया है लेकिन इसकी रोकथाम के लिए यह प्रयास नाकाम नजर आ रहा है। उन्होंने टिड्डी दल पर छिड़काव कर रहे वाहनों की संख्या बढाने तथा झाड़ियों में जहां वाहन की पहुंच नहीं है वहां हवाई छिड़काव की मांग की।
इस दौरान उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि छब्बीस वर्ष बाद एक बार फिर राज्य के आठ जिलों में टिड्डी दलों की संभावना बन रही है। उन्होंने कहा कि गत 19 जून को भारत एवं पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच बैठक हुई जिसमें कहा गया कि अपने अपने क्षेत्रों में छिड़काव किया जायेगा। इसके बाद पाकिस्तान ने तो कोई कार्रवाई की नहीं और बाड़मेर से श्रीगंगानगर तक टिड्डी दलों पर काबू पाने के लिए केवल दो टीमें बनाकर भेजी है। उन्होंने कहा कि डेजर्ट नेशनल पार्क में भी टिड्डी का प्रकोप बढ़ गया है। काफी लम्बे क्षेत्र में फैले इस पार्क से इसके आगे बढ़ने की संभावना है। पोकरण फील्ड फायरिंग क्षेत्र में भी इसका प्रकोप देखने को मिला है। यह सामरिक क्षेत्र होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि वर्ष 1993 के बाद टिड्डियों का यह सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है। इस पर काबू पाने के लिए उचित कदम उठाये जाने चाहिए।
जोरा
वार्ता
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