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शिक्षा विभाग के शारीरिक शिक्षक ने किया 35 करोड़ रुपये का गबन

श्रीगंगानगर, 01 अगस्त (वार्ता) राजस्थान में श्रीगंगानगर के एक सरकारी स्कूल के शारीरिक शिक्षक ने 35 करोड़ से अधिक का गबन करके समूचे शिक्षा विभाग की चूलें हिला दीं हैं।
इस गबन की जांच करने के लिए शिक्षा निदेशालय बीकानेर का एक उच्च स्तरीय दल आज श्रीगंगानगर पहुंचा, जिसने जांच शुरू करते हुए रिकॉर्ड अपने कब्जे में कर लिया है। एक और दल जांच करने के लिए कल श्रीगंगानगर पहुंच रहा है। गबन करने का आरोपित शारीरिक शिक्षक ओमप्रकाश शर्मा परिवार सहित फरार हो गया है। पुलिस उसकी तलाश में छापे मार रही है।
गबन उजागर होने पर मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी हंसराज की रिपोर्ट पर पुरानी आबादी थाना में शारीरिक शिक्षक ओमप्रकाश शर्मा के खिलाफ जालसाजी एवं धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। थानाप्रभारी दिगपाल सिंह ने प्रकरण दर्ज होने के साथ ही जांच शुरू कर दी है। इस गबन में शिक्षा विभाग के कई अधिकारी, कर्मचारी और जिला कोष कार्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारी भी जांच के दायरे में आ गये हैं। शिक्षा विभाग अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इतना बड़ा घपला अकेले एक कर्मचारी के बूते पर सम्भव नहीं है।
जांचकर्ताओं ने बताया कि इस शारीरिक शिक्षक ने इतनी बड़ी रकम को उड़ाने के लिए एक दर्जन बैंकों में अपने परिवारजनों, रिश्तेदारों और परिचितों के 50 से अधिक बैंक खातों का इस्तेमाल किया। वह करीब चार वर्षों से जिला कोष कार्यालय के मार्फत इन खातों में रकम स्थानांतरित करवा रहा था। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। ओम प्रकाश वैसे तो सरकारी स्कूल में पदस्थापित था, लेकिन उसे बिना किसी सक्षम अधिकारी के कथित रूप से प्रतिनियुक्ति पर मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी एवं पदेन बीआरसीएफ समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय में लगा रखा था। उसे पे-मैनेजर के रूप में पे-बिल बनाने की जिम्मेवारी सौंपी हुई थी।
जांच अधिकारी दिगपाल सिंह ने बताया कि शारीरिक शिक्षक ओमप्रकाश शर्मा कम्प्यूटर का जानकार था। कार्यालय में वह सारा काम कम्प्यूटर पर ही करता था। उसने बड़ी होशियारी से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी हंसराज ने बताया है कि एक जनवरी 2015 से लेकर अब तक ओमप्रकाश शर्मा ने विभाग के रिकॉर्ड में 172 फर्जी नाम के कर्मचारियों के आईडी बनाये। इन कर्मचारियों का बकाया उपार्जित अवकाश (पीएल) के पे-बिल बनाकर जिला कोष कार्यालय को प्रेषित किये। कोष कार्यालय से पे-बिल की राशि उसके द्वारा भेजे गये खाते में ट्रांसफर होती रही। करीब साढ़े चार वर्ष में ओमप्रकाश ने 172 फर्जी पे-बिल बनाकर कोष कार्यालय से 35 करोड़ की राशि अपने परिवारजनों, रिश्तेदारों तथा परिचितों के बैंक खातों में ट्रांसफर करवा ली। विभागीय सूत्रों के अनुसार ओमप्रकाश को कर्मचारी का आईडी नम्बर लेने और उसके पे-बिल कोष कार्यालय में मेल करने के लिए जीपीएफ विभाग एवं कोष कार्यालय दोनों के लॉगइन पासवर्ड पता थे। लिहाजा वह जीपीएफ के लॉगइन पासवर्ड से फर्जी नाम के कर्मचारी का आईडी बनाता था। फिर उसी आईडी पर पीएल के वेतन का बिल बनाकर कोष कार्यालय को भेज देता था। उसने जितने भी पे-बिल बनाये हैं, उनमें से शायद ही कोई व्यक्ति शिक्षा विभाग का कर्मचारी है।
मूल रूप से श्रीगंगानगर के समीप गांव मिर्जेवाला निवासी ओमप्रकाश शर्मा का मकान सद्भावनानगर में दिखने में साधारण सा है। वह परिवार सहित फरार हो चुका है। कल देर शाम मुकदमा दर्ज होने के दौरान ही एक पुलिस टीम सद्भावनानगर पहुंची, वहां ताला लगा हुआ मिला। बाद में उसके मिर्जेवाला का होने का पता चलने पर आज सुबह वहां भी दबिश दी गई। ओमप्रकाश की कोई खबर नहीं है। उसके व उसके परिवार के सदस्यों के मोबाइल बंद आ रहे हैं। पुलिस पता लगा रही है कि ओमप्रकाश का कहीं कोई पासपोर्ट तो नहीं बना हुआ। अगर पासपोर्ट है तो सभी एयरपोर्ट्स अथोरिटी के लिए लुकआउट नोटिस जारी कराया जायेगा।
उधर जांच अधिकारी दिगपाल सिंह ने बताया कि एसबीआई, पंजाब एण्ड सिंध बैंक, कोटेक महिन्द्रा तथा ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स सहित एक दर्जन बैंकों में 50 से अधिक खातों में 35 करोड़ से अधिक की रकम पहुंची है। इन बैंकों को पुलिस की ओर से पत्र लिखकर सभी खाते सीज करवा दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि जिन खातों को सीज करवाया गया है, उनमें ओमप्रकाश की पत्नी और उसके बच्चों के भी अकाउंट है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि सेवानिवृत्ति पर कर्मचारी को अधिकतम 10 माह का उपार्जित अवकाश का भुगतान पे-बिल के रूप में किया जाता है। यह राशि लाखों मेें होती है।
सेठी सुनील
वार्ता
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