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एसडीआरआई ने फर्जी बिलों का रैकेट उजागर किया

जयपुर, 03 सितम्बर (वार्ता) राजस्थान में राजस्व अर्जन से संबंधित विभागों में करापवचंन पर निगरानी रखने वाली विशेष संस्था स्टेट डायरेक्टर आफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस निदेशालय (एसडीआरआई) ने महत्त्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए राज्य में जीएसटी लागू होने के पश्चात फर्जी बिलों से व्यापार करने का एक बड़ा रैकेट उजागर किया है।
निदेशालय के आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि जयपुर एवं भिवाड़ी स्थित लोहे के कुछ व्यवसायियों की जांच की गई जिसमें कुछ व्यवसायियों द्वारा फर्जीवाड़ा करके परस्पर लेनदेन से संबंधित बड़े मामले के खुलासा होने की संभावनाएं हैं। इसके तहत इन व्यवसायियों द्वारा माल की वास्तविक आपूर्ति किये बिना ही करीब 100 करोड़ राशि के माल की कागजों में ही खरीद-बिक्री दर्शा दी गई। जिसमें भिवाड़ी और जयपुर स्थित व्यवसायियों ने माल की आपूर्ति किये बिना ही आपस में ही लेनदेन करके करके करीब 100 करोड़ रूपये की जीसी शीट की आपूर्ति दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि एसडीआरआई को कुछ दिन पहले इस संबंध में गुप्त सूचना प्राप्त हुई कि भिवाड़ी एवं जयपुर के कुछ व्यवसायियों ने राज्य में जीएसटी लागू होने के बाद पंजीयन प्राप्त करके 18 प्रतिशत कर दर से जीसी शीट की बिना माल के वास्तविक आपूर्ति के संव्यवहार किये जा रहे हैं। निदेशालय के अधिकारियों ने इन तथ्यों की गोपनीय जांच की तो व्यवसायियों द्वारा दिये गये घोषित व्यवसाय स्थलों के दिये गये सभी पते फर्जी पाये गये। कुछ व्यवसाय स्थलों के जो पते घोषित किये गये थे उस कॉलोनी में वह स्थान पाया ही नहीं गया।
सूत्रों ने बताया कि निदेशालय का दल जांच करते हुए जब एक व्यवसायी की फर्म के घोषित व्यवसाय स्थल पर पहुँची तो वहां अन्य फर्म पाई गई। इसी तरह एक अन्य फर्म के व्यवसाय स्थल पर व्यवसायिक गतिविधियां बन्द पायी गयीं, जबकि एक व्यवसायिक फर्म के घोषित पते पर अन्य फर्म की व्यवसायिक गतिविधियां संचालित होना पाया गया। सूत्रों ने बताया कि इसके पश्चात निदेशालय दल ने इन व्यवसायियों द्वारा बनाये गये ई-वे बिल में दर्ज वाहनों के पंजीयन नम्बरों का विभिन्न टोल गेट से आवागमन की जांच करवाई गई। जिन तारीखों में माल का ई-वे बिल बनाया गया है उन तारीखों के आस-पास भी ये वाहन उन टोल गेटों से गुजरना नहीं पाये गये।
निदेशालय के अधिकारियों ने जयपुर में अपनी जांच में पाया कि जयपुर स्थित इन व्यवसायियों ने अपने गोदाम भिवाड़ी में घोषित किये हैं जबकि जांच करने पर वहां भी सभी पते फर्जी पाये गये। वहां एक व्यवसायी के दस्तावेजों की प्राथमिक जांच के दौरान यह जांच दल यह देखकर हतप्रभ रह गया कि उस व्यवसायी ने करीब छह करोड़ की राशि के रफ डाइमण्ड की बिक्री दर्शायी है, जबकि उक्त व्यवसायी की फर्म में मुख्यतः लोहे से संबंधित माल की खरीद बिक्री की जाती है। सूत्रों के अनुसार निदेशालय ने प्रथम दृष्टया माना है कि इन सभी व्यवहारियों द्वारा आपस में सर्कुलर ट्रेडिंग करके आईटीसी क्लेम के दुरूपयोग के उद्देश्य से सोची समझी रणनीति के तहत ये फर्जी खरीद-बिक्री दर्शायी है। एक खास तथ्य यह भी सामने आया कि ये सभी फर्में इन्हीं नामों से दिल्ली में भी पंजीकृत हैं। सूत्रों ने बताया कि निदेशालय जल्द ही जांच का दायरा बढ़ाते हुए आगे देशभर में ऐसे मामलों की जांच करवायेगा।
सुनील
वार्ता
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