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अलवर में हुई जैनेश्वरी दीक्षाएं, वस्त्र त्यागकर पकड़ा वैराग्य का मार्ग

अलवर, 30 सितम्बर (वार्ता) राजस्थान में अलवर के करौली कुण्ड के पास जैन नसिया जी का मैदान में सोमवार को नया इतिहास रच गया।
आचार्य श्री विनम्र सागर जी के पावन सानिध्य में इस मैदान पर आज एक ब्रहचारी दीपक भैय्या ने एलक की तथा सरोज दीदी ने क्षुल्लिका की दीक्षा ग्रहण की जबकि विनम्र सागर जी के संंघस्थ क्षुल्लक श्री विश्वकुन्दसागर जी को ऐलक की दीक्षा तथा ऐलक श्री विनुत सागर जी को मुनि की दीक्षा प्रदान की गई। कार्यक्रम में दिगम्बर जैन संत उपाध्याय अभिनन्दन सागर जी भी विरामजमान रहे। कार्यक्रम में राजस्थान के पूर्व श्रम मंत्री डॉ. जसवंत सिंह यादव, शहर विधायक संजय शर्मा मुख्य रूप से मौजूद रहे जिनका समाज की तरफ स्वागत किया गया।
चार दीक्षाओं के कार्यक्रम से पूर्व शहर में नये दीक्षार्थियों का निकासी जुलूस निकाला गया जो बैण्ड बाजे के साथ जैन नसिया जी पहुंचा जहां दोपहर करीब दो बजे दीक्षा का कार्यक्रम शुरू हुआ। दीक्षा से पूर्व दीप प्रज्जवल्लन, मंगलाचरण, पाद प्रक्षालन, चित्र अनावरण, शास्त्र भेंट आदि के कार्यक्रम हुए। कार्यक्रम में जैन समाजों के अध्यक्ष खिल्लीमल जैन, कुलदीप जैन, मुकेश कुमार जैन, राजेन्द्र कुमार जैन सहित बच्चू सिंह जैन आदि ने आचार्य श्री को श्री फल भेंट करके आशीर्वाद ग्रहण किया। इसके पश्चात दीक्षा के कार्यक्रम शुरू हुए जिसमें आचार्य श्री विनम्र सागर जी द्वारा दीक्षार्थियों का दीक्षाभिषेक, शक्तिपाद, केशलोंच की क्रियाएं की गईं। तत्पश्चात दीक्षार्थियों ने अपने वस्त्रों का त्याग करते हुए वैराग्य धारण किया।
इस अवसर पर आचार्य श्री विनम्र सागर जी महाराज ने कहा कि इच्छा एवं विषयों का शमन करना ही दीक्षा है। उन्होंने कहा कि जैनेश्वरी दीक्षा लेना और देना आसान काम नहीं है। दीक्षा के बाद संत जीवन को पालना भी बड़ा ही कठिन है। जो भी दीक्षार्थी दीक्षा लेता है उसे संभालने की जिम्मेदारी गुरू की होती है। आचार्य श्री ने कहा कि मैं भी अपने गुरू के आदेश पर ही ये दीक्षा प्रदान कर रहा हूं। इस अवसर अलवर जिले के तिजारा, मध्यप्रदेश के भिण्ड,फिरोजाबाद, ग्वालियर आदि स्थानों से श्रद्धालुजन आये और कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
जैन सुनील
वार्ता
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