राज्य » राजस्थानPosted at: Oct 30 2019 6:40PM नामांतरण के बिना करवाए गए कार्यों की होगी वसूलीझुंझुनू, 30 अक्टूबर (वार्ता) राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं में पदस्थापित जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी नियमों को ताक पर रखकर करवाए गए कार्यों की अब वसूली की जाएगी। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट ने आज बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा अनुदान की राशि ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के खातों में सीधे भेजने तथा ग्राम पंचायत के सरपंच को पांच रुपये लाख तक की स्वीकृति जारी करने के अधिकार प्रदान करने के बाद सरपंच एवं प्रधानों ने अपने चहेते लोगों की निजी भूमि पर सड़क, ट्यूबेल ,टंकी, हैंडपंप, टांका बनाने के लिए स्वीकृति जारी कर दी। इसका भुगतान उन्होंने अपने स्तर पर ही कर दिया। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायतों और पंचायत समिति में नियुक्त ग्राम सेवकों एवं तकनीकी सहायकों पर राजनीतिक दबाव बनाकर एवं तबादले का डर दिखाकर उन्हें भुगतान के लिये हस्ताक्षर के लिये मजबूर करने के सैंकड़ों मामले सामने आये हैं। श्री जाट ने बताया कि राज्य सरकार ने नियम बनाये हैं कि सार्वजनिक उपयोग के लिए कोई व्यक्ति अपनी निजी भूमि सरकार या पंचायत के पक्ष में 100 रुपये के स्टांप पेपर पर समर्पण करता है तो ऐसे समर्पण पत्र का पंजीयन होगा तथा तहसीलदार द्वारा पंचायत के पक्ष में नामांतरण खोलने के बाद ही ऐसे कार्य करवाए जा सकते हैं। जिला परिषद के ध्यान में ऐसे सैकड़ों मामले आए हैं जिनमें सरकारी धन का दुरुपयोग करते हुए निर्माण कार्य करवाए गए हैं। इस प्रकार के अनुपयोगी कार्यों की वसूली संबंधित सरपंच, ग्राम सेवक (ग्राम विकास अधिकारी) एवं तकनीकी सहायकों से किए जाने के लिए जिला परिषद द्वारा जांच करवाई जा रही है। ऐसे करीब 300 मामलों को चिन्हित किया गया है जिन पर जांच पूरी होने के बाद वसूली से संबंधित कार्रवाई की जायेगी। सर्राफ सुनीलवार्ता