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अभयारण्यों में पर्यटन शुरु करने से पहले बाघों की पुन: गणना करने की मांग

जयपुर 30 मई (वार्ता) पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण संस्था पीपुल फॉर एनीमल्स (पीएफए) के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने राजस्थान के सवाईमाधोपुर जिले में स्थित रणथंभोर एवं अलवर जिले में स्थित सरिस्का टाईगर रिजर्व सहित देश के बाघ अभयारण्यों में पर्यटन शुरू करने से पूर्व बाघों की संख्या की पुनः गणना कराने की मांग की है।
पर्यावरणविद् श्री जाजू ने असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल ऑफ फोरेस्ट, नेशनल टाईगर कन्जर्वेशन ऑथोरिटी, दिल्ली को आज पत्र लिखकर यह मांग की। उन्होंने पत्र में बताया कि विभागीय आंकड़ों के अनुसार रणथंभोर टाईगर रिजर्व में लगभग 80 बाघ-बाघिन एवं शावक है तथा सरिस्का टाईगर रिजर्व में लगभग 20 बाघ-बाघिन एवं शावक हैं जबकि वास्तविकता में 70 प्रतिशत बाघ-बाघिन भी इन टाईगर रिजर्वों में नहीं है।
उन्होंने बताया कि कोरोना लाकडाउन के दौरान रणथंभोर एवं सरिस्का टाईगर रिजर्व में वन विभाग के अफसरों की घोर लापरवाही के चलते निगरानी एवं गश्त व्यवस्था कमजोर होने से अनेक बाघों के शिकार एवं लापता होने की घटनाएं, चीतल तथा अन्य वन्यजीवों का शिकार एवं पेड़ों के कटने एवं अवैध खनन की घटनाएं घटित हुई है। श्री जाजू ने कहा कि टी-42 फतह, टी-6 रोमियो व टी-46 मोहन सहित अनेक बाघ रणथंभोर राष्ट्रीय उद्यान से लापता है। जाजू ने इन बाघों सहित कई बाघों के शिकार की आशंका जताई है।
उन्होंने रणथंभोर एवं सरिस्का टाईगर रिजर्व सहित देशभर के सभी टाईगर रिजर्वों में बाघों की संख्या की अत्याधुनिक तकनीक से पुनः गणना कराते हुए टाईगर रिजर्वों की निगरानी एव ट्रेकिंग सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने एवं बाघों की सुरक्षा में लापरवाही बरतने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि बाघों में रेडियोकॉलर लगा होने एवं ट्रेकिंग पर प्रतिवर्ष बड़ी धनराशि खर्च किये जाने के बावजूद बाघों के आंकड़े सत्यता से कोसों दूर है।
जोरा
वार्ता
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