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विवादित बाबा निर्वाण कुटिया के साधु बरखादास की मौत

श्रीगंगानगर, 07 जुलाई (वार्ता) राजस्थान में श्रीगंगानगर के पदमपुर मार्ग पर कई वर्षों से विवादित बाबा निर्वाण कुटिया के संचालक साधु बाबा बरखादास की आज दोपहर संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।
इसकी जानकारी मिलते ही पुलिस ने कुटिया मेें पहुंचकर शव कब्जे में ले लिया। उस समय कुटिया में एक बदमाश प्रवृत्ति का व्यक्ति संदिग्ध रूप से मौजूद था। इस कुटिया की करोड़ों की जमीन पर कब्जा हो जाने की आशंका को देखते पुलिस ने इस पर अपने ताले लगा दिए हैं। कुटिया के कब्जे का विवाद पहले से ही अदालत में विचाराधीन है।
पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार बाबा बरखादास (75) कि दोपहर करीब डेढ़ बजे पुलिस को मृत्यु हो जाने की सूचना प्राप्त हुई। मौके पर पहुंचे एएसआई रमेशचंद्र ने बताया कि बाबा बरखादास का शव कुटिया के एक कमरे में चारपाई पर पड़ा था। वहां कुछ लोग मौजूद थे। पूछताछ करने पर जानकारी मिली कि कई दिनों से बाबा बरखा दास बीमार थे। इसी वर्ष जनवरी में उनके ह्रदय का ऑपरेशन हुआ था।
पुलिस ने बताया कि मुखर्जी नगर निवासी एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी सुभाषचंद्र खत्री काफी दिनों से बाबा की सेवा कर रहे थे। श्री खत्री उनके खाने-पीने और दवा की व्यवस्था करते थे। आज दोपहर में खाना लेकर गए तो बाबा मृत पड़े थे।मौके की कार्रवाई के दौरान पुलिस ने कुटिया के सभी कमरों पर ताले लगा दिए। शव जिला अस्पताल के मुर्दाघर में सुरक्षित रखवा दिया। बाबा बरखादास मूल रूप से पंजाब के निवासी हैं। वह कई वर्षों से इस कुटिया में रह रहे थे। सुभाष चंद्र खत्री की रिपोर्ट पर कोतवाली में मर्ग दर्ज की गई है। पुलिस ने बताया कि बाबा बरखादास की एक डायरी मिली है, जिसमें कुछ नंबर लिखे हुए हैं। उनके परिवार वालों का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि पदमपुर मार्ग पर उधम सिंह चौक से कुछ ही दूरी पर बाबा निर्माण की कुटिया है, जो कि काफी बड़े क्षेत्र में अवस्थित है। इस कुटिया की जमीन पर पहले भी कई लोग कब्जे कर चुके हैं। करीब 13 वर्ष पहले इस कुटिया का गद्दी नशीन बाबा बनने के चलते संत कपिल मुनि की हत्या कर दी गई थी। तब यह कुटिया विवादित हो गई। प्रशासन ने इस कुटिया पर रिसीवर नियुक्त कर दिया। कोतवाली प्रभारी को रिसीवर लगाया गया था। सूत्रों के मुताबिक रिसीवर की कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान इसका फैसला बाबा बरखादास के पक्ष में हो गया था लेकिन बाद में यह मामला ऊपरी अदालत में चला गया। ऊपरी अदालत में अभी भी यह मामला विचाराधीन बताया जा रहा है।
सेठी सुनील
वार्ता
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