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सरपंची के उम्मीदवारों ने खोला आश्वासनों का पिटारा

झुंझुनू, 13 सितम्बर(वार्ता) राजस्थान में 30 सितम्बर से 10 अक्टूबर तक चार चरणों में ग्राम पंचायतों के सरपंचों और पंचों के चुनावों की घोषणा के साथ ही सम्भावित प्रत्याशियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए आश्वासनों का पिटारा खोल दिया है।
सरपंचों के दावेदारों द्वारा मतदाताओं की मनुहार की जाने लगी है। गांवों में भोजन के भंडारे शुरु हो गये हैं। सरपंची के चक्कर में कोरोना का डर भी खत्म हो गया है। गांवों में लोग खुलकर कोरोना गाईड लाईंस का उल्लघंन करते देखे जा सकते हैं।
पहले सरपंच पद पर रह चुके कुछ लोग इस आशा में फिर से अपना भाग्य आजमाना चाह रहे हैं कि पहले की तरह विकास कार्यों के नाम पर सरकारी खजाने में बड़ी रकम आयेगी जिससे वह विकास कार्य करवाकर चुनाव खर्चे की भरपाई कर लेंगे, लेकिन हाल ही में ग्राम पंचायतों के खातों में सीधे ही प्राप्त होने वाली राशि में केंद्र तथा राज्य सरकार द्वारा लगातार कटौती किये जाने के चलते भावी सरपंचों के सपने पूरे होने की संभावना कम ही लगती है।
जिला परिषद के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गत पांच वर्ष पहले हुए चुनावों के बाद अगले चार वर्षों तक राज्य एवं केंद्रीय अनुदानों से प्रत्येक ग्राम पंचायत को औसतन 50 लाख रुपये प्रति वर्ष विकास कार्यों के लिए मिलते थे। इसके अलावा विधायक एवं सांसद क्षेत्रीय विकास कोष प्रमुख, प्रधान से नजदीकी रखने वाले सरपंच इतनी ही राशि की अतिरिक्त स्वीकृतियां जारी करवा लेते थे।
करीब पांच वर्ष बाद हो रहे चुनावों के बाद अब स्थिति बदल चुकी हैं। अब राज्य सरकार से आने वाला अनुदान गत एक साल से बंद है तथा वित्तीय स्थिति को देखते हुए आगे भी संभावना कम है। केंद्रीय अनुदान की राशि भी पिछले वर्षों से आधी कर दी गई है। सांसद कोष आगामी दो साल के लिए स्थगित कर दिया गया है तथा विधायक कोष भी मेडिकल सुविधाओं की ओर मोड़ दिया गया है। नरेगा में भी केंद्रीय सहायता की कमी के चलते सामग्री राशि समय पर नही मिलती है।
सभी पंचायतों को ओनलाईन कर दिया गया है। जिससे अब कोई भी ग्राम पंचायत का आय-व्यय का हिसाब देख सकेगा। इससे सरपंच के खिलाफ शिकायतें बढ़ेगी। ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायतों के सामने स्थानीय लोगों पर सेवाकर लगाकर आमदनी जुटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इस स्थिति का आंकलन किए बिना यदि सरपंच प्रत्याशी अपनी हैसियत से अधिक खर्चा कर रहे हैं तो उनके लिए भविष्य में कर्जदार बनने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा।
सराफ सुनील
वार्ता
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