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समस्याओं का समाधान वेदोक्त आचरण से ही संभव है-आबिदी

अजमेर 30 अक्टूबर (वार्ता) संसार की समस्त समस्याओं का समाधान वेदोक्त आचरण से ही संभव है और वेद ही वर्तमान माहौल में इसका समाधान है।
यह उद्गार आज यहां महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की महर्षि दयानंद शोधपीठ के तत्वावधान में महर्षि दयानंद के 138वें निर्वाण दिवस के मौके पर आयोजित वेबिनार मे पद्मश्री से सम्मानित एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग नई दिल्ली की सदस्या डॉ. नाहिद आबिदी ने व्यक्त किए। उन्होंने वेदों की ओर लौटो विषयक वेबिनार में अपनी भावना रखते हुए कहा कि विश्व बंधुत्व, विश्व शांति एवं विश्व कल्याण का मार्ग महर्षि दयानंद द्वारा उद्घोषित वाक्य वेदों की ओर लौटो से ही संभव है। उन्होंने कहा कि वेदों के अध्ययन एवं आचरण से मनुष्य का निर्माण संभव है तथा वेदों के जरिए समस्याओं का निदान किया जा सकता है।
कार्यक्रम में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलपति प्रो. रुपकिशोर शास्त्री ने कहा कि वेदों को समाज में पुनर्प्रतिष्ठापित करने का श्रेय महर्षि दयानंद को है। जिन्होंने पूरी मानवता एवं मानवीय अस्मिता को बचाने के लिए आर्य समाज का आंदोलन चलाया। वानप्रस्थ साधक आश्रम रोजड़ गुजरात के प्रमुख आचार्य सत्यजीत ने कहा कि प्राचीनकाल से ही यह प्रश्न प्रासंगिक रहा है कि वेदों की ओर लौटने का अर्थ भारतीय संस्कृति परंपराओं का पूर्ण पालन है।
वेबिनार में अमेरिका से जुड़े भारतीय संस्कृति शिक्षक डॉ. मोक्षराज ने योग, यज्ञ एवं वेद के प्रचार को पूरे विश्व में फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि महर्षि दयानंद के विचार तीनों कालों में सर्वकालिक एवं सार्वजनीन है। जब किसी भी मत अथवा मजहब का प्रादुर्भाव नहीं हुआ तब भी वेद था।
अनुराग रामसिंह
वार्ता
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