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सरकारी खरीद के अभाव में न्यूनतम समर्थित मूल्य से कम पर बेचने की मजबूरी

अलवर 06 अप्रेल (वार्ता) राजस्थान के अलवर जिले में सरकारी खरीद नही होने के कारण किसान न्यूनतम समर्थित मूल्य से कम दर पर गेंहू बेचने को मजबूर हो गए है।
किसानो ने बताया कि दो दिन पहले ही अलवर की अनाज मण्डी में गेहूं सीधे व्यापारी को 1680 रुपए प्रति क्विंटल बेचा, जबकि गेहूं का सरकारी भाव 1975 रुपए प्रति क्विंटल है। मतलब प्रति क्विंवटल करीब 300 रुपए का नुकसान। यही नहीं, बहुत से छोटे किसानों का गेहूं तो 1600 रुपए प्रति क्विंटल भी बिका है।
मण्डी में लाने के बाद व्यापारी ने जो भाव लगाया, उसी में बेचना पड़ा है। सरकार की ओर से गेहूं की अब तक खरीदारी शुरू नहीं हो सकी है। यही हाल सरसों का रहा। लेकिन, सरसों का बाजार में भाव ऊंचा रहने से किसान खुश हैं।
किसानों का कहना है कि यह छह दिन का मेला है। फसल आते ही किसान पर बोर का पैसा चुकाने, साहूकार का कर्ज लौटाने का इतना दबाव होता है कि अनाज को घर में रोक नहीं सकते। हां, बड़े अनाज रोक कर रख सकते हैं। लेकिन, हम नहीं। तभी तो खेत से सीधे अलवर मण्डी लेकर आए हैं। यहां जो भाव मिलता है बेचना पड़ता है। वापस भी लेकर नहीं जा सकते।
किसान बोले कि हमें पता है कि गेहूं का सरकारी भाव 1975 रुपए प्रति क्विंटल है। लेकिन, सरकार से माथा मारने का समय भी नहीं है। पहले जमीन के कागज लेकर आओ, फिर उनको चेक कराओ। कई दिन बाद चेक मिलेगा। फिर बैंक में पैसा आएगा। इस उलझन में कई दिन खराब हो जाते हैं। दूसरा अभी तो सरकारी खरीद शुरू भी नहीं हुई है। इस कारण मजबूरी में बेचना पड़ा है।
रामसिंह
वार्ता
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