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उत्तर पश्चिम रेलवे रेल गाड़ियों को टक्कर से बचाने के लिए रेललाइनों पर लगायेगा कवच प्रणाली

जयपुर 08 अक्टूबर (वार्ता) उत्तर पश्चिम रेलवे रेल गाड़ियों को टक्कर से बचाने के लिए विकसित की गई “कवच” प्रणाली को अपनी 1586 किलोमीटर रेल लाइनों पर लगायेगा।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार इसे लगाने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त हो गई है, जिसे शीघ्र ही पूर्ण कर लिया जाएगा। उत्तर पश्चिम रेलवे पर यह कवच प्रणाली रेवाड़ी-पालनपुर वाया जयपुर, जयपुर-सवाई माधोपुर, उदयपुर-चित्तौड़गढ़, फुलेरा-जोधपुर-मारवाड़ एवं लूनी-भीलड़ी के 1586 किमी रेल खंड पर स्वीकृत की गई है।
उन्होंने बताया कि इस प्रणाली के लगने से जहां एक और रेलों के सुरक्षित एवं संरक्षित संचालन में वृद्धि होगी वहीं दूसरी ओर लोको पायलेट द्वारा सिगनलों की स्थिति की सटीक जानकारी मिलने से गाड़ी की औसत गति में भी वृद्धि होगी।
उन्होंने बताया कि रेलवे ने रेलों के टकराने की घटना को रोकने के लिए पूर्ण रूप से स्वदेशी रेल टकराने से बचाने की प्रणाली (टीसीएएस) विकसित की गई है। रेलवे पर सिग्नल को लाल अवस्था में अर्थात् रूकने के संकेत में पार न करने, अनुमत गति से अधिक गति से ट्रेन ना चलाने एवं आमने-सामने टकराने वाले दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बचाव प्रणाली टीसीएएस विकसित की गई है जिसे “कवच” नाम दिया गया है।
यह प्रणाली सैटेलाइट द्वारा रेडियो कम्युनिकेशन के माध्यम से लोकोमोटिव एवं स्टेशनों पर आपस में संबंध स्थापित करती है। इसके द्वारा लोको पायलेट को जहां एक और आगे आने वाले सिग्नलों की स्थिति के बारे में पता चलता है वहीं दूसरी ओर उसे लाइन पर रुकावट का पता भी चल जाता है। इसके साथ ही इस प्रणाली से सिग्नल की लोकेशन एवं आने वाले सिग्नल की दूरी का भी पता चल जाता है, जिससे लोको पायलेट अधिक प्रभावी ढंग से गाड़ी का परिचालन कर पाता है। जब किसी लाइन पर अन्य गाड़ी के आने या खड़ी रहने आदि अवरोध का पता लगते ही यह प्रणाली सक्रिय होकर लोको पायलट को सचेत करती है एवं निश्चित अवधि पर स्वतः ही गाड़ी में ब्रेक लगा देती है, जिससे किसी भी अनहोनी घटना को रोका जा सके।
जोरा
वार्ता
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