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सिंह ने पर्यावरणविदों के साथ कलक्टर से सोरसन गोडावण विचरण क्षेत्र को बचाने का आग्रह किया

कोटा 19 अक्टूबर (वार्ता) राजस्थान के पूर्व मंत्री भरतसिंह के नेतृत्व में वन एवं पर्यावरणविदों ने आज जिला कलेक्टर से भेंट कर सोरसन गोडावण वन क्षैत्र का पर्यावरणीय एवं कानूनी महत्व अच्छे से समझा कर बचाने की पहल करने का अनुरोध किया है।
विधायक एवं हाड़ौती नेचुरलिस्ट सोसायटी के अध्यक्ष भरत सिंह के साथ भारतीय कला एवं सांस्कृतिक निधि के कंवीनर निखिलेष सेठी, हाड़ौती पर्यटन विकास समिति के उपाध्यक्ष जयवर्द्वन सिंह, राष्ट्रीय जल बिरादरी के प्रदेश उपाध्यक्ष बाघ मित्र बृजेश विजयवर्गीय, एचएनएस के पक्षी विशेषज्ञ आरएस तोमर, पर्यावरण प्रेमी कुशलपाल सिंह, पूर्व सरपंच अमलसरा महावीर चौधरी, हरीश चौधरी, बारां इंटेक के को -कंवीनर जितेंद्र शर्मा आदि गणमान्य नागरिकों ने जिला कलेक्टर राजेंद्र विजय के समक्ष उप वन संरक्षक बी. चेतन कुमार वन, खनन विभाग के अधिकारियों को वन्यजीव विचरण क्षैत्र के पास खनन की अनुमति देने के लिए कड़ी फटकार लगाई और कहा कि यह राजस्थान उच्च न्यायालय सिविल पिटिशन 825/19 का उल्लंधन है।
श्री सिंह ने कहा कि खान की झौपडिया गांव को बारां की सीमा में शामिल ही खनन कार्यों को बढ़ावा देने के लिए गया है, जो कि सरासर गलत है। जिन व्याक्तियों को खानें आंवटित हुई है उनकी सूची भी कलेक्टर को सौपी गई। जिनमें एक व्यक्ति तो खुद बीपीएल है एवं नगर पालिका संागोद में पार्षद है। सिंह ने आरोप लगाया कि ये सब यहां कें विधायक और मंत्री के बेनामी लोग है जो खुद खनन कार्यों को बढ़ावा दे रहे है।
श्री सिंह ने चेतावनी दी कि राज्य सरकार को बारां प्रशासन सही तथ्यों से अवगत कराए और मौके का दौरा कर स्थिति को अपनी आंख से देखें। प्रशासन तय करें कि वन चाहिए या खानें। भरत सिंह ने यह भी कहा कि गोडावण वर्षों से इस क्षैत्र की शान रहे है। उन्हें शिकारियों ने षडयंत्र पूर्वक जहर दे कर मारा है। लेकिन जिस प्रकार सरिस्का में बाघों के खत्म होने के बाद पुनः उन्हें बसाया गया उसी प्रकार सोरसन भी गोडावण का घर है और राज्य सरकार ने प्रजनन केंद्र की मंजूरी दी है जिसकी बजट घोषणा भी विधान सभा में की है। सरकार का काफी पैसा सोरसन पर खर्च हो रहा है।
शाह रामसिंह
वार्ता
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