खेलPosted at: Aug 17 2018 4:23PM कबड्डी एक बार फिर भारत के लिये स्वर्णिम उम्मीदों का सबसे बड़ा खेल रहेगा। भारत ने अब तक एशियाई खेलों में कबड्डी में नौ स्वर्ण जीते हैं और जकार्ता में भी भारत का दबदबा बने रहने की उम्मीद है। बैडमिंटन में भारत के हाथ अब तक एशियाई खेलों में आठ कांस्य पदक लगे हैं। भारत ने पिछले एशियाई खेलों में महिला टीम वर्ग में कांस्य पदक जीता था। भारत का आखिरी व्यक्तिगत कांस्य पदक 1982 के दिल्ली एशियाई खेलों में था जो सैयद मोदी ने जीता था। रियो ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों के रजत पदक विजेता सिंधू पर भारत को बैडमिंटन का पहला स्वर्ण दिलाने का दारोमदार रहेगा। राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुकी सायना भी स्वर्ण पदक का करिश्मा कर सकती हैं लेकिन इसके लिये उन्हें अपने प्रदर्शन में निरंतरता रखनी होगी। एशियाई खेलों की बैडमिंटन प्रतियोगिता किसी विश्व चैंपियनशिप से कम नहीं होती है जहां चीन, जापान, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, ताइपे और कोरिया के खिलाड़ी पदक के सबसे बड़े दावेदार होते हैं। निशानेबाजी में राष्ट्रमंडल खेलों के सबसे युवा स्वर्ण विजेता 15 साल के अनीश 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में एक बार फिर स्वर्ण जीतने के इरादे से उतरेंगे। 16 साल की मनु महिला 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण की दावेदार रहेंगी। दो जूनियर विश्वकप गोल्ड मेडल जीत चुकीं युवा निशानेबाज़ एलावेनिल वलारिवान भी रायफल स्पर्धा में दावेदार रहेंगी। भारत को पिछले खेलों में निशानेबाज़ जीतू राय ने पहला स्वर्ण पदक दिलाया था लेकिन इस बार वह भारतीय टीम में नहीं हैं और उनकी कमी खलेगी।राज प्रीतिजारी वार्ता