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बेहतर उपकरणों से सुधरा भारतीय बैडमिंटन का स्तर : गोपीचंद

नयी दिल्ली, 21 जनवरी (वार्ता) भारत की राष्ट्रीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिये बेहतर उपकरणों की उपलब्धता ने हाल के वर्षों में उनके प्रदर्शन को सुधारने में मदद की है।
बेंगलुरु में योनेक्स की नयी निर्माण इकाई की घोषणा के लिये योनेक्स-सनराइज द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में गोपीचंद ने अंतरराष्ट्रीय मानक उपकरणों तक पहुंच न होने के कारण खिलाड़ियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया।
गोपीचंद ने यूनीवार्ता से कहा, "1991-92 में हमारे सामने खेल खेलने में बहुत सारी चुनौतियां थीं। सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक उपकरण प्राप्त करना था। हम सभी संघर्ष करते थे क्योंकि हम घरेलू स्तर पर बने शटल के साथ खेल रहे थे। इनका प्रक्षेपवक्र (ट्रैजेक्ट्री) था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल होने वाली शटल से अलग था।"
पद्म भूषण से सम्मानित गोपीचंद ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था खुलने से खिलाड़ियों के लिये बेहतर उपकरणों तक पहुंच संभव हुई।
उन्होंने कहा, "सौभाग्य से भारत के खुलने के साथ योनेक्स जैसे निर्माता भारत आए जिसने हमारे लिये एक बड़ा अंतर बनाया क्योंकि अब हमारे लिये उपकरण आसानी से उपलब्ध थे। हमें रैकेट, शटल और जूते मिल रहे थे जिससे भारतीय बैडमिंटन का स्तर ऊंचा उठा।"
गोपीचंद ने कहा कि बेहतर उपकरण मिलने से भारतीय बैडमिंटन ने हाल के दिनों में तेजी से प्रगति की है।
उन्होंने कहा, "कुछ असाधारण खिलाड़ियों जैसे प्रकाश पादुकोण सर और कुछ अन्य व्यक्तिगत प्रतिभाओं की उपलब्धियों के बावजूद भारतीय बैडमिंटन का समग्र मानक बहुत कम था। इतना कम कि 1994 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने एक भी खिलाड़ी नहीं भेजा था क्योंकि यह माना गया था कि भारतीय टीम के पास शीर्ष आठ टीमों में शामिल होने का मौका नहीं है।"
उन्होंने कहा, "इसकी तुलना में हमने थॉमस कप (2022 में) में जो हासिल किया है, यह उल्लेखनीय है। साल 2001 में मैं ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतकर भाग्यशाली रहा। उसके बाद चाहे 2008 का ओलंपिक हो जहां पहली बार कोई भारतीय खिलाड़ी क्वार्टर फाइनल में पहुंचा, 2010 राष्ट्रमंडल खेल हों जब हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, 2012 ओलंपिक हों जहां भारत ने अपना पहला कांस्य पदक जीता हो या 2016 जब हमने पहला ओलंपिक रजत पदक जीता था, मुझे लगता है कि भारतीय बैडमिंटन पिछले कुछ वर्षों में कदम दर कदम आगे बढ़ा है। इतना कि पिछले 10 वर्षों में लगातार हमारे पास हर विश्व चैंपियनशिप में पदक आये हैं।"
शादाब
वार्ता
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