राज्यPosted at: Sep 24 2018 9:47PM श्री तिवारी ने कहा, “भ्रष्टाचार को ही आधार बना कर श्री कुमार ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का साथ छोड़ा था। वह उनसे केवल अलग ही नहीं हुए बल्कि जिस नरेंद्र मोदी की विभाजनकारी राजनीति के विरूद्ध वर्ष 2014 का लोकसभा का चुनाव लड़ने के साथ ही महागठबंधन बनाकर वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जिनको बुरी तरह पराजित किया था, पुन: उनके पास जाने के लिए भ्रष्टाचार को ही उन्होंने आधार बनाया था। उन्होंने भ्रष्टाचार के मुकाबले विभाजनकारी राजनीति को तरजीह दिया।” राजद उपाध्यक्ष ने कहा कि यह श्री कुमार का असाधारण फैसला था। उन्होंने अपनी संपूर्ण राजनीतिक पूंजी को दाव पर लगा दिया था। विचारधारा उनके लिए गौण हो गई और भ्रष्टाचार प्रमुख हो गया। इसीलिए, राफेल विवाद पर श्री कुमार की राय का देश बेसब्री से इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ झंडा सबसे ऊंचा रखने का दावा करने वाले श्री से इस प्रकरण की स्वतंत्र जांच की मांग की अपेक्षा तो की ही जा सकती है। उल्लेखनीय है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के उस बयान के बाद देश की राजनीति में घमासान मच गया जिसमें उन्होंने कहा, “राफेल लड़ाकू विमान सौदे के लिए भारत सरकार की ओर से उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस का नाम प्रस्तावित किया गया था और दसॉ एविएशन कंपनी के पास कोई और विकल्प नहीं था।” हालांकि इस सौदे का कांग्रेस लगातार विरोध करती रही है।