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उत्तराखंड में पाॅलीथिन के प्रयोग पर हाई कोर्ट सख्त

उत्तराखंड में पाॅलीथिन के प्रयोग पर हाई कोर्ट सख्त

नैनीताल 05 अगस्त (वार्ता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में पाॅलीथिन के प्रयोग को हतोत्साहित करने के संबंध में महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है तथा इस संबंध में एकलपीठ के पूर्व के आदेश को रद्द करने से साफ इंकार कर दिया है।

गौरतलब है कि अदालत की एकलपीठ ने बागेश्वर जिले में दो व्यवसायियों पर एक पॉलीथिन बैग के बदले 500 रुपये का अर्थदंड लगाने का आदेश दिया था। अदालत के इस आदेश से राज्य में पाॅलीथिन के खिलाफ चल रही मुहिम को बल मिलेगा।

बागेश्वर जिले के दो व्यापारियों मदन लाल और निर्मल कुमार साह ने मामले को विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी जिसमें एकलपीठ के आदेश को आधार बनाया गया था।

मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद 30 जुलाई को आदेश जारी किया था लेकिन फैसले की प्रति सोमवार को उपलब्ध हुई।

अदालत ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य में एक जनवरी 2017 से पाॅलीथिन की बिक्री, प्रयोग और भंडारण पर प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने कहा था कि आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके दो महीने बाद मार्च 2017 में बागेश्वर जिले में प्रशासन ने पाॅलीथिन को लेकर मुहिम चलायी। इस मुहिम के तहत बागेश्वर के दो दुकानदारों से 157 पाॅलीथिन बैग बरामद की गयी।

प्रशासन ने दोनों व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनसे प्रति बैग 500 रुपये का अर्थदंड लगाया। प्रशासन के इस कदम को दोनों दुकानदारों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी। एकलपीठ ने दुकानदारों को कोई राहत प्रदान नहीं की। इसके बाद एकलपीठ के आदेश के विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी गयी।

मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली युगलपीठ ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए अपीलकर्ताओं को राहत प्रदान करने से इनकार कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ताओं ने कानून का उल्लंघन किया है। अदालत ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत विवेकाधीन अधिकार का प्रयोग ऐसे व्यक्तियों की सहायता के लिये नहीं करेगी जिन्होंने कानून का उल्लंघन किया है और उसके बाद वे अदालत की सुरक्षा चाहते हो।

अदालत ने कहा कि एकलपीठ ने भी याचिकाकर्ताओं को राहत देने से मना कर दिया है। एकलपीठ ने समझा है कि अर्थदंड कानून का दुरूपयोग करने वालों के लिये एक निवारक का काम करेगा। यह राज्य के पारिस्थितिकी तंत्र को भी सुरक्षित रखने और राज्य की जनता के व्यापक हित में है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि न्यायालय दिसंबर 2016 में राज्य में पालीथीन पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में आदेश पारित कर चुका है।

अदालत के आदेश के बाद राज्य सरकार ने राज्य में एक जनवरी 2017 से पाॅलीथिन और थर्माेकोल से बने उत्पादों की बिक्री, प्रयोग और भंडारण पर प्रतिबंध लगाया दिया था। आदेश में यह भी कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को बस, ट्रेन और हवाई यात्रा से पालीथीन ले जाने की अनुमति नहीं होगी। इसके साथ ही अदालत ने विशेष अपील को खारिज कर दिया।

रवीन्द्र.संजय

वार्ता

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