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राज्य


कुवैत में पिछले चार माह से फंसे हैं 90 भारतीय युवक

नैनीताल. 24 मई (वार्ता) कुवैत कमाने गये 90 भारतीय युवक पिछले चार महीने से वहां फंसे हुए हैं और इन युवकों में उत्तराखंड का भी एक युवक है।
ये युवक जिस कंपनी में पिछले डेढ़ साल से वे काम कर रहे थे उस कंपनी ने उनके वेतन और अन्य देनदारी भी नहीं दी है और अब उनको खाने के भी लाले पड़े हुए हैं। वे अपने देश वापस आना चाहते हैं लेकिन दस्तावेजों और धन के अभाव में नहीं आ पा रहे हैं।
कुवैत में फंसे उत्तराखंड के रहने वाले युवक मनोज बिष्ट (34) के रिश्तेदारों ने अब मीडिया के माध्यम से केंद्र सरकार से गुहार लगायी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से उन्हें उम्मीद है कि वे कुवैत सरकार से हस्तक्षेप करके उन्हें वापस अपने वतन लाने में सहयोग करेंगे।
मनोज पौड़ी जिले के दूरस्थ बीरोंखाल ब्लाक के थापला गांव का रहने वाला है। वहां आज भी दूरसंचार तथा अन्य सुविधायें मौजूद नहीं हैं।नैनीताल के कृष्णापुर में रहने वाली मनोज की रिश्तेदार सीमा उसके वापसी को लेकर सक्रिय है। सीमा ने बताया कि मनोज डेढ़ साल पहले कुवैत गया था। वह जहारा स्थित खराफी नेशनल कंपनी में काम कर रहा था। उसके साथ इसी कंपनी में अन्य भारतीय भी काम कर रहे थे। खराफी नेशनल कंपनी ने पहले तो इन लोगों के पासपोर्ट और वीजा समेत सभी दस्तावेज अपने पास रख लिये।
कुछ समय तक तो ठीक चला लेकिन पिछले फरवरी माह से कंपनी ने उन्हें वेतन देना बंद कर दिया है। कंपनी ने उनकी अन्य देनदारी भी नहीं दी हैं। अब प्रबंधन ने कंपनी में ताला लगा दिया है। उनके पास अब न तो वापस आने के लिए पैसे हैं और न ही दस्तावेज मौजूद हैं। वे चार माह से खाली बैठे हैं।
सीमा ने बताया कि कुवैत स्थित भारतीय दूतावास को भी सभी भारतीयों ने अपनी परेशानी से अवगत करा दिया है। भारतीय दूतावास ने भी उनके वेतन तथा देनदारी दिलाने के लिए कुवैत सरकार को लिखा है लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं मिल पायी है। उन्हें अब भारत सरकार से उम्मीद रह गयी है।
सं.संजय
वार्ता
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