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कुम्भ-अमावस्या रेला दो कुंभ नगर

इलाहाबाद जंक्शन स्टेशन, सिटी स्टेशन, प्रयाग और प्रयाग घाट स्टेशनों से निकल रही भीड़ का रुख संगम ही है। नैनी और छिवकी एवं झूंसी स्टेशन हो या सिविल लाइंस बस अड्डा हो अथवा नैनी और झूंसी में बनाए गए अस्थायी बस अड्डों पर भी यही दृश्य बने हैं। शहर से लेकर कुंभ मेला के प्रवेश मार्गों तक और फिर मेला क्षेत्र के अंदर तक सिर पर गठरी ही गठरी ही दिखाई दे रही है।
कुम्भ में आस्था और अध्यात्म के साथ आधुनिकता का भी संगम हो रहा है। भव्य और दिव्य कुंभ में काफी कुछ बदला है। नहीं बदली तो वह गठरी, जो मेले की रौनक है। श्रद्धालुओं का रेला त्रिवेणी में गोता लगाने के लिए पांच से सात किलोमीटर की दूरी पैदल कर संगम पहुंच रहा है। चारों ओर आस्था का रेला नजर आ रहा है।
परेड में काली सड़क हो या फिर लाल सड़क। शहर की सड़कों से लेकर मेला तक में मौनी अमावस्या पर आस्था का ऐसा जमघट लगने लगा है कि कुम्भ की और दिव्यता चारों ओर निखरने लगी। गठरी लिए इन श्रद्धालुओं को न तो किसी व्यवस्था से मतलब होता है और न ही रोशनी से। अगाध आस्था में डूबे गठरी वाले श्रद्धालु पावन संगम पहुंच रहे हैं।
दिनेश प्रदीप
जारी वार्ता
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