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राष्ट्रीय-अयोध्या पत्थर तराशी दो अंतिम अयोध्या

श्री शर्मा के मुताबिक राम मंदिर 265.5 फिट लम्बा और 140 फिट चौड़ा और 128 फिट ऊंचा होगा जिसके प्रथम तल पर सबसे पहले सिंहद्वार, रंग मंडप, नृत्य मंडप और फिर परिक्रमा के बाद गर्भगृह होगा जबकि मंदिर के दूसरे मंजिल पर रामदरबार और उसके ऊपर शिखर होगा। उन्होंने बताया कि राम मंदिर के हर तल पर 106 खंभे और एक खंभे में 16 मूर्तियां होंगी। सम्पूर्ण राम मंदिर राजस्थान के वंशी पहाड़पुर से आने वाले पिंड सैंड स्टोन से बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण मंदिर में एक लाख पचहत्तर हजार घन फिट पत्थर लगना है जिसमें से एक लाख घन फिट से अधिक पत्थर को गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कारीगरों द्वारा तराशा जा चुका है। मंदिर का भूतल समेत करीब पैंसठ फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि राम मंदिर में लगने वाले पत्थर की आयु एक हजार वर्ष की है जिसका प्रयोगशाला में परीक्षण भी किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि मंदिर के फर्श में मार्बल लगेगा। प्लिंथ ग्रेनाइट पत्थर का बनाया जायेगा जिससे पानी वगैरह से इन पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि द्वितीय तल के लिये काफी मात्रा में पत्थर रामसेवक पुरम् में तराशने के लिये रखे हुए हैं।
विहिप प्रवक्ता के मुताबिक राम मंदिर के निर्माण में लोहे का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया जायेगा। उन्होंने बताया कि पहले फाउण्डेशन का काम करना पड़ेगा क्योंकि जो प्रस्तावित जगह है इसके पीछे खाईं है और वह पूरी खाईं चालिस, पचास फिट की है। उसको भरने में टाइम तो लगेगा ही। उन्होंने बताया कि छह से आठ महीने फाउण्डेशन बनाने में ही लग जायेंगे यह काम कोई आसान नहीं है। राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में मंदिर का कार्य गुजरात से आये अन्नू भाई सोमपारा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से काफी खुश नजर आ रहे हैं और वे कहते हैं कि सन् 1990 में 45 वर्ष की आयु में मैं इस कार्यशाला में आया था तभी से मैं देखरेख कर रहा हूँ। उनका कहना है कि 1992 में ही मैं इस कार्यशाला में राम मंदिर के लिये पत्थरों को तराशने का काम शुरू हुआ है।
उन्होंने कहा कि आज मैं धन्य हो गया हूँ कि मेरे सामने तराशे गये पत्थर भगवान का भव्य मंदिर बनने जा रहा है। उन्होंने बताया कि पत्थरों की खूबसूरत आकृतियों को बनाने के लिये शुरुआती दौर में नब्बे से अस्सी कुशल कारीगरों को भी लगाया गया था। अब मैं बुड्ढा हो चुका हूँ तो क्या हुआ मंदिर का निर्माण मेरे सामने ही होगा। उन्होंने कहा कि जैसे ही संत-धर्माचार्यों मंदिर के दूसरे तल के लिये कहेंगे वैसे ही करीब तीन-चार सौ कारीगरों से तराशने का काम चालू हो जायेगा। उन्होंने कहा कि अयोध्या में आकर मैं सबसे बड़ी सीख जो सीखा है वह भाईचारे का है।
सं त्यागी
वार्ता
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