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गोंडा में साधु सन्यासी कर रहे कल्पवास

गोंडा 05 जनवरी (वार्ता) उत्तर प्रदेश में गोंडा के भगवान बाराह की अवतार स्थली पसका सूकरखेत के निकट बह रही घाघरा और सरयू के संगम पर पौष मास के प्रारंभ से ही देश विदेश से आये कल्पवासियों का जमघट लगा हुआ है।
इस ऐतिहासिक स्थली के त्रिमुहानी घाट पर भीषण ठंड के बावजूद दूर दूर से आये साधु संत महात्मा और श्रद्धालु घास फूस की अस्थायी झोपड़ियों बनाकर अपने भौतिक सुख से विरत रहकर एक मास का कल्पवास कर रहे है । इस अवधि में कल्प वासियों की धूनिया धधकती रहती है ।
सरयू ,घाघरा और टेढ़ी नदियों के संगम स्थान को छोटा प्रयाग के नाम से जाना जाता है । उत्तर भारत के इस पवित्र तीर्थस्थल पर मकर संक्रांति के स्नान तक मुख्य मेला पौष पूर्णिमा तक रहेगा। दूर दराज से आये श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाकर यहाँ स्थित मंदिरो में माँ बाराहीदेवी ,उत्तरी भवानी व अन्य देवी देवताओं के पूजन अर्चना के अपनी मनोकामना पूर्ण होने की अरदास लगाते हैं।
कल्प वासी पौराणिक गुरु नरहरिदास आश्रम और तुलसीदास द्वारा हस्तलिखित रामचरित मानस व उनकी चरणपादुका का दर्शन कर रहे हैं। इस स्थान का उल्लेख राम चरित्र मानस के बालकाण्ड की एक चौपाई में किया गया है । पसका सूकर खेत सरयू और घाघरा नदी के पवित्र संगम स्थान को त्रिमुहानी के नाम से पुकारा जाता है। पौराणिक मान्यताओ के अनुसार ,गोस्वामी तुलसीदास ने अपने गुरु नरसिंहदास से दीक्षा लेकर विभिन्न ग्रंथों व शास्त्रों का गहन अध्ययन एवं रामायण का अनुश्रवण किया। इस क्षेत्र को उनकी गुरूभूमि भी कहा जाता है। श्रीमद्धभगवत गीता महापुराण व बारह पुराण में हुये वर्णन में कहा गया है कि राक्षस हिरण्याक्ष के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिये भगवान विष्णु सूकर बाराह का रुप धारण कर अवतरित हुये। हिरण्याक्ष का मर्दन करने के बाद पृथ्वी पुन :स्थापित की गयी। इसके फलस्वरूप इस धरती को मेदिनी के नाम से भी जाना जाने लगा। इसी के साथ माँ बाराहीं का अवतरण हुआ जो यहाँ उत्तरी भवानी के नाम से विख्यात है ।
कल्पवास के दौरान भगवान बाराह के अनुयायी यहां स्थापित उनके मंदिर परिसर में वैदिक रीति रिवाज़ से मुंडन ,यज्ञोपववीत ,विवाह व अन्य रस्मों को अदा कर भव्य भंडारे का आयोजन करते है। आगामी 28 जनवरी को पौष पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले विशाल मेले को लेकर क्षेत्र में मेला स्थल के इर्द गिर्द व्याप्त गंदगी व त्रिमुहानीं घाट पर शवों के अंतिम संस्कार के अवशेष व गंदगी से कल्पवास करने आये ऋषि मुनियों मे आक्रोश हैं । प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार ,मेला क्षेत्र में सुरक्षा और मूलभूत सुविधाओं के पुख्ता प्रबंध किये गये हैं।
सं विनोद
वार्ता
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