श्रीनगर, 04 अगस्त (वार्ता) जम्मू-कश्मीर के तीन वरिष्ठ राजनेताओं ने रविवार को केंद्र सरकार से ऐसा कोई भी निर्णय न लेने की अपील की जिससे घाटी में तनाव की स्थिति उत्पन हो जाए।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता मोहम्मद यूसुफ़ तारिगामी, डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के अध्यक्ष गुलाम हसन मीर और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) के अध्यक्ष हकीम मोहम्मद यासीन ने रविवार को सयुंक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केंद्र सरकार ऐसा कोई भी निर्णय न ले जिससे जम्मू-कश्मीर में तनाव की स्थिति पैदा हो जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार को राज्य को मिली संवैधानिक गारंटी बरक़रार रखनी चाहिए। सरकार को कोई भी ऐसा राजनीतिक कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे न केवल कश्मीर बल्कि पूरे देश को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ें।
उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा कश्मीर में अतिरिक्त जवानों की तैनाती और अमरनाथ यात्रियों एवं पर्यटकों तथा छात्रों को कश्मीर छोड़ने के सुरक्षा परामर्श जारी करने के निर्णय से घाटी के लोगों में उलझन और बेचैनी पैदा हो गयी है।
उन्होंने कहा, “आतंकवाद के चरम पर होने के बावजूद अमरनाथ यात्रा कभी रद्द नहीं की गयी और न ही कभी पर्यटकों को घाटी छोड़ने को कहा गया। सरकार जब यह दावा कर रही है कि पिछले वर्ष के मुकाबले अब हालात बेहतर हुए हैं, तो ऐसे में अतिरिक्त जवानों की तैनाती क्यों की गयी?”
इसके अलावा तीनों नेताओं ने सभी लोकतांत्रिक ताकतों से संसद और संसद के बाहर जम्मू-कश्मीर को दिये जाने वाले विशेष राज्य के दर्जे से छेड़छाड़ न करने के लिए आवाज़ उठाने की अपील की है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों से इस स्थिति में संयम बरतने और एक साथ रहने की भी अपील की है।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने हाल ही में राज्य में आतंकवादी हमले के खतरे के मद्देनज़र और सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए परामर्श जारी किया था जिसमें अमरनाथ यात्रियों तथा पर्यटकों को घाटी से निकाले जाने की हिदायत दी गयी थी।
सरकार की ओर से जारी परामर्श के बाद से घाटी में तरह-तरह की अटकलों और अफवाहों को दौर शुरू हो गया है। लोगों ने किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए खाद्यान्न, तेल, रसोई गैस, दवाई आदि रोजमर्रा की जरूरतों के सामान अपने घर में जमा करने शुरू कर दिया है।
जतिन.श्रवण
वार्ता