मुंबई 28 जुलाई (वार्ता) बॉलीवुड में अपने संजीदा अभिनय के लिये मशहूर राजकुमा राव खुद को हीरो नहीं एक्टर मानते हैं।
राजकुमार राव का कहना है कि हिंदी फिल्मों में हीरो शब्द का क्यों इस्तेमाल होता है उन्हें आज तक समझ नहीं आया। राजकुमार से जब यह सवाल किया गया कि उन्हें कई सफल फिल्मों का हीरो बनने और अवॉर्ड हासिल करने को लेकर कैसा महसूस होता है तो उन्होंने कहा, “सच कहूं तो मुझे नहीं मालूम की एक हीरो को कैसा महसूस होता है। मैं हमेशा से एक ऐक्टर बनना चाहता था और हमेशा से ऐसा ही महसूस करना चाहता हूं। इस वजह से मुझे हिंदी फिल्मों में ऐक्टर की जगह हीरो शब्द के इस्तेमाल की जरूरत आज तक समझ नहीं आई है।”
राजकुमार राव ने कहा,“कई बार मेरे पास ऐसे भी ऑफर आए जिसे लेकर कहा गया कि यह एकदम हीरो टाइप फिल्म है, जिस पर मैं हमेशा उनसे जोर देकर कहता था कि फिल्म में मेरा क्या नाम है और किस तरह का मेरा किरदार लिखा गया वह बताएं। हीरो क्या होता है? हम लोग हीरो नहीं है। हीरो तो वह हैं जो बॉर्डर पर जाकर हमारे लिए लड़ते हैं। हम तो बस अपना काम कर रहे हैं और कुछ नहीं।इस बात से मैं पूरा इत्तेफाक रखता हूं क्योंकि आज जिस तरह से सिनेमा के कलेवर में बदलाव आया है, उसके बाद कथित तौर पर हीरो की परिभाषा में वाकई बदलाव आ गया है, जो पहले के सिनेमा में देखने के लिए नहीं मिलती है।”
प्रेम आशा
वार्ता