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धर्म-विज्ञान एक दूसरे को काटते नहीं, विज्ञान-आध्यात्म के संबंध को भारत ने समझा : शिवराज

धर्म-विज्ञान एक दूसरे को काटते नहीं, विज्ञान-आध्यात्म के संबंध को भारत ने समझा : शिवराज

भोपाल, 21 जनवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि वैज्ञानिक सोच भारत की जड़ों में है और धर्म-विज्ञान एक दूसरे को काटते नहीं, बल्कि एक-दूसरे का समर्थन करते हैं, जहां से विज्ञान समाप्त होता है वहां से अध्यात्म की यात्रा प्रारंभ होती है।

श्री चौहान यहां भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के उद्घााटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जीतेंद्र सिंह भी उपस्थित थे।

श्री चौहान ने कहा कि वैज्ञानिक सोच भारत की जड़ों में है। आज से हजारों साल पहले भी भारत प्रौद्योगिकी में बहुत आगे था। कोविड के कठिन काल में कल्पना भी नहीं की थी कि स्वदेशी वैक्सीन बन जाएगी। देश में वैज्ञानिक पहले भी थे, लेकिन सशक्त नेतृत्व नहीं था।

उन्होंने कहा कि विज्ञान को तकनीकी की जननी माना जाता है, लेकिन उससे भी आगे कुछ है तो वो है जिज्ञासा। जिज्ञासा से ही अनुसंधान होते हैं। यही मानव को चांद पर लेकर गई। जिज्ञासा और जानने की इच्छा मन में बनी रहना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदर्भ में श्री चौहान ने कहा कि उनके नेतृत्व में एक गौरवशाली, वैभवशाली, शक्तिशाली, समृद्ध और सशक्त भारत का निर्माण हो रहा है। उनकी सोच भी वैज्ञानिक है।

उन्होंने कहा कि एक तरफ हमने योग, ध्यान, प्राणायाम और समाधि के जरिए ब्रह्मांड के सत्य को खोजने की कोशिश की। विमान की कल्पना हजारों साल पहले से ही भारत में थी। भारत के खगोल विज्ञानी भास्कराचार्य ने न्यूटन से सदियों पहले साबित किया था कि पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को एक विशेष शक्ति के साथ अपनी ओर आकर्षित करती है। अथर्ववेद में पहली बार लक्षणों के आधार पर ज्वर, खांसी, कुष्ठ जैसे रोगों की चिकित्सा का वर्णन मिलता है। ईसा से 600 साल पहले तक्षशिला और बनारस औषध विज्ञान के बड़े केंद्र बनकर उभरे थे। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में हर प्रकार की चिकित्सा का वर्णन है। कोई ये न समझे कि हमने विज्ञान पश्चिम से लिया है। नवग्रह हमारे लिए कोई नए नहीं हैं, हमारे ऋषि इनके बारे में सालों पहले से जानते हैं।

इसी क्रम में श्री चौहान ने कहा कि वे बेहद जिम्मेदारी से कह रहे हैं कि धर्म और विज्ञान एक दूसरे को काटते नहीं हैं, बल्कि समर्थन करते हैं। विज्ञान और आध्यात्म के आपसी संबंध को भारत ने समझा है। जहां से विज्ञान समाप्त होता है वहां से अध्यात्म की यात्रा प्रारंभ होती है। आज इस प्राचीन ज्ञान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

युवा वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए श्री चौहान ने कहा कि एक साल में मध्यप्रदेश में 2,600 स्टार्टअप बने हैं। छोटे कस्बों से भी प्रतिभाशाली बच्चे निकल रहे हैं। इंदौर में स्टार्टअप पार्क बन रहा है, जरूरत पड़ी, तो भोपाल और ग्वालियर में भी बनेगा।

गरिमा

वार्ता

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