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संशोधित नागरिकता कानून राष्ट्रहित में, राजनीति ठीक नहीं : गडकरी

संशोधित नागरिकता कानून राष्ट्रहित में, राजनीति ठीक नहीं : गडकरी

विशेष विमान से, 13 दिसंबर (वार्ता) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश के सभी राजनीतिक दलों का शुक्रवार को आह्वान किया कि वे संशोधित नागरिकता कानून को लेकर संकीर्ण राजनीतिक दृष्टि को छोड़कर राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखें तथा भ्रम को दूर करने में सहायता करें।

श्री गडकरी झारखंड विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार के लिए जाते समय पत्रकारों से कहा कि दुनिया के किसी भी देश में अवैध विदेशी नागरिकों को नागरिकता नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा, “मेरा सभी राजनीतिक दलों से विनम्र आग्रह है कि वे संशोधित नागरिकता कानून के विषय को लेकर धर्म की राजनीति नहीं करें और इस विषय को राष्ट्रीय हित की नज़र से देखें।”

उन्होंने कहा, “हम सभी धर्मों के साथ हैं और उनको समान मानते हैं। देश के संविधान में सभी नागरिक चाहे वे हिन्दू हों, या मुसलमान, ईसाई, जैन, पारसी या सिख, उन्हें समान अधिकार प्राप्त हैं। इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को संशोधित नागरिकता कानून को लेकर व्याप्त भ्रम को दूर करने में सहायता करनी चाहिए।

नये नागरिकता कानून को मुस्लिम विरोधी बताये जाने के आरोपों को खंडन करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि यह शत प्रतिशत गलत बात है। भारत में रहने वाले मुस्लिम समुदाय ने देश के लिए काम किया है। उन्होंने पाकिस्तान के साथ युद्धों में भाग लिया है और बहादुरी से लड़े हैं। भारत का हर व्यक्ति चाहे वह किसी भी उपासना पद्धति को मानता हो, वे सब हमारे अपने हैं। उन्होंने कहा ,“ न राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और न ही भाजपा ऐसी संकीर्ण सोच रखती है। हमारे मन में मुसलमानों के लिए कतई कोई नकारात्मक भावना नहीं है। हम चाहते हैं कि शिक्षित एवं बुद्धिजीवी मुस्लिम अपने समाज में मजबूत हों और वे समाज को आगे ले कर चलें।”

असम एवं पूर्वाेत्तर में हिंसा और बेकाबू हालात के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा,“एक दुष्प्रचार किया जा रहा है। हम किसी भी धर्म या मजहब के खिलाफ नहीं है।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वोत्तर के लोगों को संदेश दिया है और उन्हें सही बात बतायी है। लोगों को सोचना चाहिए कि दुनिया के प्रत्येक देश में किसी भी अवैध रूप से आये विदेशी नागरिक को संपत्ति खरीदने, नौकरी करने का अधिकार नहीं होता है लेकिन हमारे देश में अलग ही रवैया चलता आया है।

उन्होंने कहा कि अपने संविधान के मुताबिक इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान और बंगलादेश को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में कहा गया है कि इन दोनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी बहुत तेजी से कम हुई है। उन्हें या तो बलात धर्मपरिवर्तन करना पड़ा है या देश छोड़ना पड़ा है। बहुत से अल्पसंख्यक भारत में आये हैं। भारत के संविधान के अनुसार ये शरणार्थी की परिभाषा में नहीं आते हैं। इसलिए उन्हें विशेष दर्जा देकर शरण दी गयी थी। चूंकि विश्व में कोई भी देश हिन्दू, जैन, सिख और पारसियों के धर्म को मानने वाला है तो वह केवल भारत ही है इसलिए भारत को उन्हें स्वीकार करना पड़ेगा।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत में विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता देने संबंधी मौजूदा कानून के अंतर्गत धार्मिक प्रताड़ना के शिकार पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना संभव नहीं था। इस बारे में सरकार में श्री मोदी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक मेें गहन विचार मंथन हुआ था। उस बैठक में जब इसका कोई रास्ता नहीं निकला तो नागरिकता संशोधन विधेयक लाने का निर्णय लिया गया था।

देश में समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में कहा ,“ यह भाजपा का एजेंडा रहा है और हमने सदैव इसका समर्थन किया है और अब भी समर्थन करते हैं। भविष्य में प्रधानमंत्री इस दिशा में उचित कदम उठाएंगे। भाजपा का विचार है कि हर देश में नागरिकों के लिए एक समान कानून होते हैं। समान नागरिक संहिता मुसलमानों के हक में भी है।”

सचिन आशा

जारी वार्ता

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