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कोलन कैंसर से बचाता है सांबर : डॉ. पुरोहित

जालंधर 23 मार्च (वार्ता) राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने कहा है कि कोलन कैंसर वैश्विक स्तर पर कैंसर से संबंधित मौतों का दूसरा सबसे प्रचलित कारण है और तीसरा सबसे आम वैश्विक कैंसर है लेकिन दक्षिण भारतीय करी में सबसे लोकप्रिय सांबर खाने से कोलन कैंसर से बचा जा सकता है।

राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने राजपुरा में जियान सागर मेडिकल कॉलेज द्वारा शनिवार को ‘कोलोरेक्टल कैंसर अवेयरनेस’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि सांबर में तीखे मसाले नहीं होते, इससे आंतों की परत प्रभावित नहीं होती है और कार्सिनोजेन के विकास को रोकता है।

प्रसिद्ध महामारी विशेषज्ञ डॉ. पुरोहित ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार कोलन कैंसर वैश्विक स्तर पर कैंसर से संबंधित मौतों का दूसरा सबसे प्रचलित कारण है और तीसरा सबसे आम वैश्विक कैंसर है, जो कैंसर के सभी मामलों सका लगभग 10 प्रतिशत है। सत्तर प्रतिशत कोलन कैंसर उत्तर भारत में होता है।

प्रसिद्ध ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ ने बताया कि सांबर पाउडर में मसालों का मिश्रण है जो इसकी प्रभावशीलता बढ़ाता है। उन्होंने कहा, “ सांबर पाउडर में एंटी-ट्यूमरजेनिक गुण होते हैं, यानी यह ट्यूमर के गठन को रोकता है। सांबर पाउडर में धनिया के बीज, मेथी के बीज, हल्दी के प्रकंद, काली मिर्च, करी पत्ते और जीरा होते हैं। ”

उन्होंने कहा कि अगर सही तरीके से बनाया जाये तो सांबर एक बहुत ही पौष्टिक व्यंजन है।

उन्होंने यूरोपियन जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में अपनी हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुये कहा कि इस्तेमाल किये गये मसालों के गुण मल त्याग में मदद करते हैं, जिससे कोलन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। सांबर कोई मसालेदार व्यंजन नहीं है और इसलिए यह आंत

की परत को प्रभावित नहीं करता है और वास्तव में डाइमिथाइलहाइड्रेज़िन के विकास को रोकता है, जो कोलन कैंसर का एक कारक है।

डॉ पुरोहित ने कहा, “ सांबर को पूरा लेने के बजाय, अगर हम इसे घटकों में विभाजित करते हैं, तो हम इसमें शामिल सभी सामग्रियों के कई लाभ देखते हैं। सभी घटक अच्छे पाचन को बढ़ावा देते हैं जो कोलन कैंसर को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने दावा किया कि कोलन कैंसर उत्तर भारतीयों में प्रचलित आहार के कारण अधिक आम है, जिसमें अधिक गेहूं होता है और इससे कब्ज होता है। माना जाता है कि दक्षिण भारत में चावल और करी का आहार मल त्याग में मदद करता है।

उन्होंने कहा, “ हल्दी, जो सांबर पाउडर में एक सक्रिय घटक है, इसमें कैंसर विरोधी गुण होते हैं। यह मुक्त कणों के निर्माण को रोकता है जो कैंसरकारी हो सकते हैं। दक्षिण भारतीय करी और विशेष रूप से सांबर, मुख्य रूप से मसालों का उपयोग करके पकाया जाता है। उत्तर भारत में, हम अधिक ग्रिल्ड भोजन देखते हैं, जिसमें इसकी तैयारी के तरीके के कारण टार और मुक्त कण होते हैं। ”

उन्होंने कहा, “ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट द्वारा सांबर न केवल मसालों के लिये बल्कि इसमें डाली जाने वाली सब्जियों के लिये भी निर्धारित किया जाता है। ”

सीएमई कार्यक्रम में चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय भोजन हमेशा फाइबर से भरपूर होता है। सांबर, विशेष रूप से, गाजर, करेला, भिंडी, सहजन, टमाटर और अन्य जैसी कई सब्जियों का उपयोग करता है, जिनके अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं, जैसे कि दाल का भी उपयोग किया जाता है। मसालों और अन्य सामग्रियों के मिश्रण से अधिक वसा का अवशोषण होता है जिससे गतिशीलता बढ़ती है और इसलिये कोलन कैंसर को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि अधिक वसा और कम फाइबर वाला आहार अक्सर कोलन कैंसर का कारण बनता है।

ठाकुर.श्रवण

वार्ता

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