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राज्य, जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान की याचिका पर राय आने में देरी से सुप्रीम कोर्ट नाराज

राज्य, जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान की याचिका पर राय आने में देरी से सुप्रीम कोर्ट नाराज

नयी दिल्ली, 17 जनवरी (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने राज्य या जिला स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दायर एक याचिका पर छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं पेश करने पर मंगलवार को नाराजगी व्यक्त की।

न्यायमूर्ति एस. के. कौल, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा, 'हम इस बात की सराहना करने में विफल हैं कि इन राज्यों को जवाब क्यों नहीं देना चाहिए। हम केंद्र सरकार को उनकी प्रतिक्रिया लेने का अंतिम अवसर देते हैं, जिसमें विफल रहने पर हम मानेंगे कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है।'

पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से कहा, “वे अपना जवाब नहीं दे सकते। हम यह मानकर चलेंगे कि वे प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते हैं।”

पीठ के समक्ष श्री वेंकटरमणी ने कहा कि छह राज्यों से उनके जवाब लेने के लिए उन्हें समय दिया जाना चाहिए।

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 मार्च की तारीख मुकर्रर की है।

शीर्ष अदालत में दायर की गई स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू- कश्मीर, झारखंड, लक्षद्वीप, राजस्थान और तेलंगाना की टिप्पणियों का अब भी इंतजार है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी. एस. वैद्यनाथन ने कहा कि केंद्र द्वारा पेश स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश राज्य इस बात पर सहमत थे कि अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए राज्यों को इकाई होना चाहिए न कि संघ।

केंद्र सरकार को अपनी राय देने वाले 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से दिल्ली ही एकमात्र ऐसी सरकार है, जिसने खुले तौर पर राज्य या केंद्रशासित प्रदेश स्तर पर हिंदुओं को किसी भी रूप में अल्पसंख्यक का दर्जा देने का समर्थन किया है।

शीर्ष अदालत के समक्ष हाल ही में दायर एक स्थिति रिपोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा, "केंद्र सरकार हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विस्थापित अल्पसंख्यक का दर्जा घोषित कर सकती है जो अपने मूल राज्य (यानी जम्मू और कश्मीर, लद्दाख आदि) में धार्मिक अल्पसंख्यक हैं और प्रवास के बाद दिल्ली में रह रहे हैं। ”

स्थिति रिपोर्ट के अनुसार,आंध्र प्रदेश, असम, तमिलनाडु, पंजाब, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड सहित कुछ अन्य राज्यों ने राज्य स्तर पर "अल्पसंख्यक समुदाय" की पहचान का समर्थन किया है, लेकिन किसी विशेष धर्म या समूह का नाम नहीं लिया। इन राज्यों में पंजाब को छोड़कर, हिंदू राज्य स्तर पर धार्मिक बहुसंख्यक समुदाय हैं। पंजाब में सिख बहुसंख्यक थे।

भाजपा शासित राज्यों ने राज्य की जनसंख्या के अनुसार अल्पसंख्यक घोषित करने के संबंध में अलग-अलग राय दी है।

उत्तर प्रदेश ने कहा कि अगर केंद्र सरकार इस मामले में कोई फैसला लेती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी।

त्रिपुरा ने कहा कि अल्पसंख्यकों की पहचान राज्य स्तर पर की जानी चाहिए ताकि एक धार्मिक समूह के अनुयायी (जो वास्तव में संख्या में कम हैं) संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत उनके संवैधानिक अधिकारों को प्राप्त कर सकें।

मध्य प्रदेश ने अल्पसंख्यकों की पहचान की वर्तमान व्यवस्था को जारी रखने की राय दी है। महाराष्ट्र ने कहा कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यक समुदायों को अधिसूचित कर सकती है।

हरियाणा की राय है कि किसी भी समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित करने की शक्ति केंद्र सरकार के पास निहित है।

बीरेंद्र, यामिनी

वार्ता

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