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मधुमेह नियंत्रण में तनाव बड़ी बाधा, जीवनशैली में बदलाव जरूरी

मधुमेह नियंत्रण में तनाव बड़ी बाधा, जीवनशैली में बदलाव जरूरी

दरभंगा, 26 मार्च (वार्ता) जाने-माने डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. ए. के. गुप्ता ने तनाव को मधुमेह नियंत्रण में बड़ी बाधा बताया और कहा कि संयमित दिनचर्या एवं जीवनशैली अपना कर इससे काफी हद तक बचा जा सकता है।

डॉ. गुप्ता ने आज यहां ‘यूनीवार्ता’ से विशेष बातचीत में कहा कि देश में मधुमेह रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2010 में विश्व में मधुमेह पीड़ितों की संख्या 28.5 करोड़ थी, जिसके 2030 तक बढ़कर 44 करोड़ होने की संभावना है। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत भी मधुमेह रोगियों की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर चीन है, जहां नाै करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं जबकि भारत में पांच करोड़ 80 लाख लोग इस गंभीर बीमारी से ग्रस्त है।

डायबिटोलॉजिस्ट ने कहा कि मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से ऊर्जा बनाने में कठिनाई होती है और ऐसे में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर को विभिन्न स्तर पर एवं विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। देश में यह रोग पुरुषों में ज्यादा है। उन्होंने कहा कि मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और बिगड़ी जीवनशैली के कारण ही होता है। वंशानुगत मधुमेह को ‘टाइप वन’ और अनियमित जीवनशैली की वजह से होने वाले मधुमेह को ‘टाइप टू’ श्रेणी में रखा गया है।

मधुमेह रोग विशेषज्ञ ने कहा कि मधुमेह रोगियों को असमय मौत से बचने के लिए ‘आप दीपो भवः’ की तर्ज पर स्वयं अपना पथ प्रदर्शक एवं चिकित्सक बनना जरूरी है। मधुमेह रोगियों को चीनी से परहेज तो करना जरूरी है। साथ ही उन्हें नमक भी कम से कम मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए। शुगर को नियंत्रण में रखने के लक्ष्य के साथ ही उन्हें सेहतमंद चीज खाने चाहिए, जिनमें सब्जियां, सलाद और हाई फाइबर वाले अनाज (गेहूं) का सेवन करना और मीठी चीजों से परहेज भी जरूरी है।

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