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केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य क्षेत्र के वन पंचायतों, गांवों को मिल सकती है राहत

नैनीताल 24 जनवरी (वार्ता) हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य की परिधि में शामिल चमोली और रूद्रप्रयाग जनपद की वन पंचायतों एवं राजस्व ग्रामों को राहत मिल सकती है। केन्द्र सरकार की ओर से इस बात के संकेत उच्च न्यायालय में मंगलवार को दिये गये।
केन्द्र ने कहा कि गांवों को बाहर किये जाने के राज्य सरकार के सुझाव पर सरकार विचार कर रही है। इस मामले को विशेषज्ञ समिति के समक्ष रखा गया है।
केन्द्र सरकार की ओर से यह जानकारी आज उच्च न्यायालय में पेश जवाब में दी गयी है। केन्द्र सरकार की ओर से पेश जवाब में कहा गया है कि इसी साल 17 जनवरी को उत्तराखंड सरकार की ओर से कुछ गांवों को प्रस्तावित केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य के पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) की अधिसूचना से बाहर किये जाने का प्रस्ताव मिला है।
केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से पेश शपथपत्र में कहा गया कि केन्द्र सरकार की ओर से राज्य सरकार के सुझावों की जांच की गयी और इसके उपरांत राज्य सरकार के सुझाव को पिछले महीने सम्पन्न हुई 34वीं ईएसजेड समिति की बैठक में विशेषज्ञों के समक्ष रखा गया है। ईएसजेड के विशेषज्ञों की बैठक विगत छह मार्च को सम्पन्न हुई है।
केन्द्र सरकार की ओर से आगे कहा गया कि राज्य सरकार के सुझाव पर गौर किया जाएगा और इस मामले में समुचित कदम उठाये जायेंगे। यह भी कहा गया है कि इस मामले में तय प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
इस मामले में ग्राम मक्खू मठ की वन पंचायत संघर्ष समिति की ओर से एक जनहित याचिका दायर की गयी थी। समिति के अध्यक्ष भूपेन्द्र प्रसाद मैठाणी की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि प्रस्तावित केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य में प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के मुख्य मंदिर को छोड़कर अन्य सहायक मंदिरों को शामिल कर लिया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार ने दिसंबर 2017 में चमोली जनपद में कस्तूरी मृग अभ्यारण्य को हरी झंडी दी थी।
केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य के अंतर्गत तुंगनाथ, मदमहेश्वर, अनुसूया मंदिर, दक्षकाली व शंकराचार्य की समाधि को भी शामिल किया गया है। यही नहीं भारत-चीन युद्ध के समय में बनी सड़क को भी अभ्यारण्य की सीमा में शामिल कर लिया गया है। इसके अलावा चार वन पंचायतों और छह से अधिक राजस्व ग्रामों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। इससे ग्रामीणों के व्यापक हित प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायामूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की युगलपीठ ने पहली बार हुई सुनवाई के दौरान इस मामले को गंभीरता से लिया था और केन्द्र और राज्य सरकार से इस मामले में जवाब पेश करने को कहा था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि अदालत ने इस मामले में दो सप्ताह में प्रति शपथपत्र पेश करने को कहा है।
उल्लेखनीय है कि केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य चमोली और रूद्रप्रयाग जनपद के बीच स्थित है। इसे केदारनाथ वन्य जीव अभ्यारण्य भी कहा जाता है। यह लगभग 975 किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह समुद्र की सतह से 1160 मीटर से 7068 मीटर की ऊंचाई में स्थित है जो कि फाटा से हिमालय की चौखंभा चोटी के बीच स्थित है।
रवीन्द्र, उप्रेती
वार्ता
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