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कस्तूरीरंगन ने ज्ञान को सबसे बड़ी पूंजि बताया

हरिद्वार 27 फरवरी (वार्ता) पद्मविभूषण डा. कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन ने गुरुवार को अपने व्याख्यान में ज्ञान को जीवन की सबसे बड़ी पूंजी बताया।
डा. कस्तूरीरंगन के व्याख्यान का आईआईटी रुड़की के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सभागार में आयोजन किया गया था जिसका शीर्षक ‘टूवर्ड्स ए 21स्ट सेंचुरी नॉलेज सोसाइटी’ था। इस व्याख्यान सत्र में 100 से अधिक छात्रों ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया।
डा. कस्तूरीरंगन ने 21 वीं सदी के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के अनुरूप भारत को एक बौद्धिक समाज में बदलने से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि ऐसा समाज आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए एक पथ-प्रदर्शक का काम करेगा।
उन्होंने कहा,“भारत जैसे विशाल और विविधता वाले समाज की प्रगति के लिए ज्ञान बहुत ही आवश्यक है। यह बहुत ही उपयुक्त समय है, क्योंकि नई पीढ़ी ये मानती है कि ज्ञान ही सच्चा धन है और लोगों से साझा करने से इसमें वृद्धि होती ।
डॉ. कस्तूरीरंगन को वर्तमान केंद्र सरकार की ओर से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए गठित समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वर्तमान में, वह इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए), पुणे के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष, राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर, एनआईआईटी विश्वविद्यालय नीमराना के अध्यक्ष, परमाणु ऊर्जा आयोग के सदस्य, एनआईएएस, बैंगलोर में एमेरिटस प्रोफेसर और इसरो में विशिष्ट सलाहकार के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
साथ ही वे भारत के सभी चार प्रमुख विज्ञान और इंजीनियरिंग अकादमियों के फेलो सहित कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विज्ञान अकादमियों के सदस्य भी हैं।
सं.संजय
वार्ता
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