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जयपुर को बाल श्रमिक मुक्त बनाने के लिये अभियान

जयपुर, 17 जनवरी (वार्ता) गैर सरकारी संगठन बचपन रहेगा बचपन राज्य सरकार और अन्य संगठनों के सहयोग से जयपुर को बाल श्रमिक मुक्त कराने के लिये अभियान शुरू करेगा।
द ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट, भारत के कार्यक्रम प्रबंधक करण मलिक ने आज यहां पत्रकारों को बताया कि इस अभियान से 36 संगठन जुड़े हैं जो इस अभियान में भागीदारी निभायेंगे। इसके तहत संगठन के सदस्य राज्य सरकार सहित कारोबारियों, विद्यालयीन छात्रों और आमजन की मदद लेंगे। उन्होंने बताया कि जयपुर में बड़ी संख्या में ऐसे घर हैं जहां कारखाने चल रहे हैं। इनमें वयस्कों के साथ बाल श्रमिक कार्यरत हैं।
श्री मलिक ने बताया कि जयपुर में बाल श्रमिकों की स्थिति जानने के लिये सर्वे किया गया। इसके तहत 1400 घरों, संस्थानों का मुआयना किया गया। इनमें करीब सात प्रतिशत बाल श्रमिक मिले। कुल मिलाकर करीब 35 प्रतिशत बाल श्रमिक जयपुर के चूड़ी, कशीदाकारी जैसे घरेलू कारखानों में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि इनमें 10 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चे कार्य करते हैं। इन बच्चों से जबरन काम कराया जाता है। इनमें ज्यादातर बच्चों को बिहार और झारखंड से लाया जाता है। कई बच्चों को बहला फुसलाकर यहां लाया जाता है तो कईयों को उनके माता पिता ही भेज देते हैं।
उन्होंने बताया कि कई बाल श्रमिकों को बचाकर उनका पुनर्वास किया गया। बालकों को शोषण से बचाने के लिये इनके स्रोत स्थल पर कार्रवाई के प्रयास किये जायेंगे। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार के साथ बिहार सरकार और पुलिस के साथ ही बालकों के माता पिता के खिलाफ कार्रवाई करवाने के प्रयास किये जायेंगे।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान 14 से कम उम्र के बाल श्रमिकों की संख्या की दृष्टि से देश में तीसरे स्थान पर है। जयपुर में इनकी संख्या सर्वाधिक है। जयपुर में विभिन्न कारखानों में कार्यरत बाल श्रमिकों में 80 प्रतिशत बालकों को बिहार से तस्करी के जरिए जयपुर लाया जाता है। बाल श्रमिकों में 55 फीसदी बच्चे 15 से 20 वर्ष के हैं। ये बच्चे जयपुर के शास्त्रीनगर, भट्टा बस्ती, रामगंज, गलता गेट, चांदपाेल ओर ब्रम्हपुरी में स्थित कारखानों में काम करते हैं। इन बच्चों को मात्र 25 हजार रुपये में बेचा जाता है। उनसे रोजाना 15 घंटे विषम परिस्थितियों में मात्र 800 से एक हजार रुपये मासिक में काम करवाया जाता है। कई बच्चे प्रताड़ना से बचने लिये भाग जाते हैं कुछ पुलिस के पास भी जाते हैं। कुछ बिहार भाग जाते हैं।
श्री मलिक ने बताया कि बाल श्रमिकों शोषण से बचाने के लिये लोगों को जागरुक किया जायेगा इसके तहत
60 दिनों तक सभी वार्डों मोबाइल वैन चलाई जायेगी। इसमें सभी वार्डों के पार्षदों का सहयोग लिया जायेगा। इस अवसर पर कारखानों से मुक्त कराये और कारखाना मालिकों के चंगुल से मुक्त कुछ बाल श्रमिकों ने पत्रकारों को अपने शोषण की दास्तां सुनाई।
सुनील
वार्ता
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